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2019-20 में 16 लाख नौकरियों में कमी का अनुमान:SBI   

एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप का अनुमान

असम, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में नौकरी के लिए बाहर गए व्यक्तियों की ओर से घर भेजे जाने वाले धन में कमी आई है। यह कमी दर्शाती है कि ठेका श्रमिकों/नौकरियों की संख्या कम हुई है। इन राज्यों के लोग रोजगार के अवसरों की तलाश में लोग पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जाते हैं|जहां से अर्जित धन को घर भेजते रहते हैं।इस आधार पर देखें तो देश में 15.8 लाख रोजगार की कमी का अनुमान है|ये कहना देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप का|

आर्थिक सुस्ती से प्रभावित हुए रोजगार:

साल 2019 के दौरान देश में छाई आर्थिक सुस्ती एवं वैश्विक मंदी के कारण नए रोजगार के अवसर काफी चलते नए रोजगार के अवसर बहुत कम पैदा हुए है।अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से देश बीते वर्ष रोजगार संकट से बुरी तरह प्रभावित हुआ है| इस संकट में ऑटोमोबाइल सेक्टर,रियल एस्टेट जैसे बड़े उद्योगों में काम रुकना भी एक बड़ी वजह है|चालू वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना अगर  पिछले वित्त वर्ष 2018-19  से करें तो 16 लाख कम नौकरियों कम हुई हैं|

ये हैं EPFO के आंकड़े:

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों को भी शामिल किया गया है| इन आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 89.7 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए थे।जबकि चालू वित्त वर्ष में इसमें 15.8 लाख की कमी आने का अनुमान है।विदित हो कि ईपीएफओ के आंकड़े में मुख्य रूप से कम वेतन वाली नौकरियां शामिल होती हैं जिनमें वेतन की अधिकत सीमा 15,000 रुपये मासिक है। रिपोर्ट में की गई गणना के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर के दौरान शुद्ध रूप से ईपीएफओ के साथ 43.1 लाख नए अंशधारक जुड़े। सालाना आधार पर यह आंकड़ा 73.9 लाख बैठेगा। हालांकि, इन ईपीएफओ में केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों और निजी काम-धंधे में लगे लोगों के आंकड़े शामिल नहीं है। 2004 से ये आंकड़े राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत स्थानांतरित कर दिए गए हैं। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, रोजगार के एनपीएस की श्रेणी के आंकड़ों में भी राज्य और केंद्र सरकार में भी मौजूदा रुझानों के अनुसार 2018-19 की तुलना में चालू वित्त वर्ष में 39,000 कम अवसर सृजित होने का अनुमान है।