2020 में बंद होगी एयर इंडिया!
सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा, ’अगर एयर इंडिया नहीं बिकती है तो उसे बंद करना पडे़गा|’

विगत लंबे समय से Air India में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया चालू है| लेकिन, सरकार को अभी तक एयरलाइन के लिए कोई औपचरिक खरीदार नहीं मिला है| अब सरकार का कहना है कि अगर जल्द ही विनिवेश पूरा नहीं होता तो एयर इंडिया को बेचना पड़ेगा| सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा है कि अगर एयर इंडिया नहीं बिकती है तो उसे बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा| बता दें सरकार ने एयर इंडिया की बिक्री मार्च 2020 तक बेचने का लक्ष्य रखा है| पिछले साल भी सरकार ने एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन एयर इंडिया द्वारा रखी गई शर्तों की वजह से कोई खरीदार नहीं मिल पाया था| इसकी वजह ये मानी गई कि बिडिंग के लिए शर्तें कड़ी रखी गईं थी। इसलिए, बताया जा रहा है कि सरकार इस बार बोली प्रक्रिया को आसान रखेगी।
कंपनी की आर्थिक स्थिति ख़राब
नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण नहीं करेंगे तो इसे चलाने के लिए पैसे कहां से आएंगे। उनका कहना है कि एयर इंडिया इस वक्त प्रथम श्रेणी की संपत्ति है, इसे अभी बेचेंगे तो बोली लगाने वाले सामने आएंगे। अगर इस सिद्धांत पर अड़े रहे की कि कुछ भी हो एयरलाइन को नहीं बेचेंगे, तो भविष्य में इसका संचालन असंभव हो जाएगा। पुरी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि एयर इंडिया के घाटे की भरपाई के लिए पहले हम वित्त मंत्रालय के पास चले जाते थे। अब मंत्रालय से भी कोई सहयोग रकम नहीं मिल रही है, इसलिए अब बैंकों के पास ही जाने का विकल्प बचा है। एविएशन मिनिस्टर ने एयर इंडिया के संचालन के सवाल पर आगे जवाब देते हुए बताया की कंपनी की हालत काफी खराब है| फिलहाल तो प्राइवेटाइजेश की ही कोशिश की जा रही है| अगर विनिवेश नहीं हो पाएगा तो मजबूरन उसे बंद करना पड़ सकता है|
कर्मचारियों के साथ न्याय का दिया आश्वासन
एयर इंडिया के कर्मचारियों के भविष्य के सवाल पर पुरी ने कहा कि हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि एयरलाइन के 11 हजार पूर्णकालिक और 4 हजार संविदा कर्मचारियों के साथ न्याय हो। जो भी एयरलाइन को खरीदेगा उसे प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत भी पड़ेगी। एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। लेकिन, एयरलाइन की स्थिति को देखते हुए अंतिम फैसला लेंगे।
एयरलाइन कंपनी है भारी घाटे में
एयर इंडिया को घाटे से उबारने के लिए उसमें हिस्सेदारी बेचने की कोशिश पिछले साल से ही हो रही है| लेकिन, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर निवेशकों ने बची हुई 24 फीसदी हिस्सेदारी में सरकारी हस्तक्षेप की आशंका जताई थी| हालांकि, अब इस शर्त को भी हटा दिया गया है| वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,400 करोड़ रुपए का जबरदस्त घाटा हुआ है| फिलहाल एयर इंडिया की माली हालत इतनी खराब हैं कि ईंधन का बकाया तक तेल कंपनियों को नहीं दिया गया है| तेल कंपनियों ने भी बकाया भुगतान नहीं करने पर ईंधन की सप्लाई रोकने की धमकी दी है|
एयर इंडिया पर 78 हज़ार करोड़ रूपए का कर्ज!
एयर इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी पर कुल 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है| वहीं ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयर इंडिया पर 78 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है| एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 4600 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग नुकसान दर्ज किया है| तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी मुद्रा के नुकसान के कारण उसका घाटा लगातार बढ़ रहा है| सरकार ने घाटे को कम करने के लिए भी एयरलाइन में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी, मगर पूरी के बयान से लगता है की इसका कुछ फायदा नहीं हुआ| सरकार अब 15 दिसंबर को निवेशकों से फ्रेश बोलियां मांगाने का प्रस्ताव जारी कर सकती है|
मुंबई से नैरोबी के उड़ान सेवा शुरू
हालांकि इसी चर्चा के बीच एक और आश्चर्यचकित करने वाली खबर है की बुधवार को कंपनी ने नैरोबी के लिए लंबे समय बाद अपनी उड़ान सेवा को शुरू कर दिया है। विदित हो की कंपनी ने मुंबई से नैरोबी के लिए लंबे अर्से बाद अपनी विमान सेवा को शुरू किया है। यह विमान सेवा हफ्ते के चार दिन चलेगी। मुंबई से सुबह 6.25 बजे चलेगी और सुबह 10 बजे अफ्रीका के शहर नैरोबी पहुंच जाएगी| वहीं वापसी में ये फ्लाइट दोपहर 12.00 बजे नैरोबी से चेलगी और शाम 8.40 बजे मुंबई पहुंच जाएगी।
दशकों पुराना है इतिहास, विवादों से भी रहा नाता
एयर इंडिया का गठन साल 1932 में टाटा एयरलाइन के रूप में हुआ था| फिर अप्रैल 2007 में इंडियन एयरलाइन और एयर इंडिया का विलय करके नई कंपनी एयर इंडिया के नाम से ही बनी| उस समय इन दोनों कंपनियों का विलय इस उद्देश्य से किया गया था की दो घाटे में चल रही कंपनियां संगठित होकर कार्य संचलन करेंगी तो हानि से उबर पाएगी| मगर 12 वर्षों के अथक प्रयास के बाद भी एयर इंडिया का असफल होना उस थ्योरी के असफलता की कहानी को बताते हैं| वैसे एयर इंडिया के साथ विवादों का भी लंबा इतिहास रहा है जैसे बोईंग और एयरबस के 111 विमानों की खरीद में अनियमित्ता और CBI जांच होना भी इसके कार्यप्रणाली के उपर संदेह उत्पन्न करते हैं|
ऐसे तो पुरे भारतीय एयरलाइन इंडस्ट्री पर संकटों का साया है मगर एयर इंडिया का सरकारी सहयोग के बाद भी इस तरह से असफल होना विस्मित करता है|