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2020 मे, तेल खपत मे, चीन को पीछे छोड़ देगा भारत

कच्चे तेल के नहीं बढ़ेंगे दाम

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कच्चे तेल की खपत 2020 के मध्य (जून तक) में चीन से भी आगे निकल जाएगी। इतना ही नहीं 2024 तक रोजाना तेल खपत में करीब 16 लाख बैरल का इजाफा होगा। इसे देखते हुए भारत रिफाइनरी में अपना निवेश निरंतर बढ़ा रहा है। आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने नीति आयोग में संगठन द्वारा तैयार इंडिया-2020, एनर्जी पॉलिसी रिव्यू रिपोर्ट जारी किया। इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, बिजली मंत्री राजकुमार सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद पटेल मौजूद थे।

फातिह बिरोल का कहना है कि, भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की मांग 2017 में 44 लाख बैरल प्रतिदिन  थी, जो 2024 में बढ़कर 60 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाएगी। वैसे तो भारत के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन यह खपत के मुकाबले बेहद कम है। जरूरत पूरी करने के लिए शोध की क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है, जो 2024 तक 57 लाख प्रतिदिन पहुंच जाएगी। इससे शोध के क्षेत्र में निवेश करने के लिए भारत बेहतर जगह बन जाएगा।

भारत को बढ़ाना होगा तेल भंडारण

आईईए ने कहा कि भारत की मौजूदा तेल भंडारण की क्षमता किसी आपात स्थिति के लिए पर्याप्त नहीं है। अभी भारत के पास महज 10 दिन के आयात जितना तेल का भंडार है। बिरोल ने कहा कि भारत विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक में तेल भंडारण के लिए प्लांट बना रहा है। यह अच्छी कोशिश है, लेकिन पर्याप्त नहीं है। मेरी सलाह है कि भारत को अपना तेल भंडारण निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए। आईईए के अधिकतर सदस्य देशों के पास करीब 90 दिन का आयात तेल रिजर्व रहता है।

नहीं बढ़ेंगे कच्चे तेल के दाम

ईरान संकट को देखते हुए कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के सवाल पर बिरोल ने कहा कि इस समय दुनियाभर के तेल बाजार में पर्याप्त आपूर्ति हो रही है। लिहाजा ईरान संकट का तेल कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।  उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन कम होगा। यह बढ़ता ही रहेगा। साथ ही ब्राजील, नॉर्वे, कनाडा जैसे देशों में भी उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे पर्याप्त उपलब्धता बनी रहेगी और क्रूड के दाम में बड़ा उछाल नहीं आएगा।

आईईए के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि भारत में ऊर्जा से जुड़े चार मंत्रालयों का विलय किए जाने की जरूरत है। इसके अलग-अलग होने से नियमों-विनियमों की अतिव्यापी हो जाती है और परियोजनाओं को धरातल पर आने में बेवजह देरी का सामना करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि भारत में ऊर्जा क्षेत्र के लिए बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय काम कर रहे हैं।