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5,100 करोड़ के स्वदेशी सैन्य सामानों की खरीद को मंजूरी

छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को भी हरी झंडी

आयात पर होने वाले व्यय को देखते हुए सरकार ने स्वदेशी सामानों को प्रोत्साहन देना शुरू किया है|गौरतलब है भारत रक्षा बजट पर भारी खर्च करने देशों शामिल है| भारतीय सेना के सशक्तिकरण के लिए प्रतिवर्ष भारी खर्च को देखते हुए सरकार ने स्वदेश आधारित रक्षा उत्पादों को प्रोत्साहन देने का निर्णय किया है|इसी प्रोत्साहन के क्रम में रक्षा मंत्रालय ने 5,100 करोड़ रुपए के स्वदेश निर्मित सैन्य साजो-सामान की खरीद को मंजूरी दी है।

रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुआ निर्णय:

स्वदेशी स्रोतों से 5,100 करोड़ रुपये के सैन्य साजो-सामान की खरीद को रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्वीकृति प्रदान कर दी गयी। रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और अन्य शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इनमें सेना के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और भारतीय उद्योग द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित की गईं अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां शामिल हैं। बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में भारतीय रणनीतिक भागीदारों और संभावित मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के चयन को भी मंजूरी दे दी जो रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण का कार्य करेंगे। इस मॉडल के तहत चयनित निजी कंपनियों को ओईएम के साथ भागीदारी में भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमानों जैसे सैन्य साजो-सामान के निर्माण में उतारा जा रहा है। चयनित कंपनियां द्वारा महत्वाकांक्षी रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत नौसेना के लिए भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को भी हरी झंडी दे दी गयी है।

अदानी का हुआ था विरोध:

रक्षा खरीद परिषद ने अडानी को अब इस प्रोजेक्ट से पूरी तरह बाहर कर दिया है| विदित हो कि विपक्ष ने इस प्रोजेक्ट की सूची में अडानी ग्रुप को शामिल करने का विरोध किया था| इससे पहले नौसेना ने इस प्रोजेक्ट के लिए अडानी को तकनीकी कारणों से बाहर कर दिया था,लेकिन रक्षा मंत्रालय ने नौसेना को इस प्रोजेक्ट के लिए एलएंडटी और एमडीएल के साथ अडानी ग्रुप को रखने का आग्रह भी किया था| वर्ष 2017 में सरकार ने रक्षा खऱीद प्रक्रिया में स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप मॉडल (एसपी मॉडल) को शामिल किया था जिसमें लड़ाकू विमानों से लेकर युद्धपोत और पनडुब्बी तक बनाने में प्राईवेट कंपनियों को शामिल किया गया था| प्राईवेट कंपनियां किसी विदेशी ओईएम के साथ संयुक्त उद्यम लगा सकते हैं| बता दें भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 16 पनडुब्बियां हैं| जबकि प्रतिद्वंदी पड़ोसी देश,चीन के पास करीब 70 पनडुब्बियां हैं|अतः हिंद महासागर में चीन के दबदबे को जवाब देने के लिए भारत को एक बड़े पनडुब्बी के जंगी बेड़े की जरूरत है|