Arthgyani
होम > न्यूज > Google के सीईओ सुंदर पिचाई को मिली दोहरी पदोन्नति, अब साथ में संभालेंगे ये पदभार

Google के सीईओ सुंदर पिचाई को मिली दोहरी पदोन्नति, अब साथ में संभालेंगे ये पदभार

गूगल के सह संस्थापकों लैरी पेज और सर्गे ब्रिन ने अल्फाबेट के नेतृत्व भूमिका से हटने की घोषणा| कंपनी में अब नहीं होगा कोई प्रेसिडेंट का पद|

सर्च इंजन Google के CEO सुंदर पिचाई को अब अब गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के CEO के तौर पर भी नियुक्त कर दिया गया है| भारतीय मूल के सुंदर पिचाई अल्फाबेट के CEO के तौर पर नियुक्त किए जाने का ऐलान कंपनी ने मंगलवार को किया| पिचाई कंपनी के सह-संस्थापक Larry Page और Sergey Brin की जगह लेंगे| इन दोनों ने अल्फाबेट से अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है|

संभालेंगे दोहरी जिम्मेदारी

NBT की एक रिपोर्ट के अनुसार नए बदलाव के बाद पिचाई अब गूगल और अल्फाबेट दोनों के CEO बन गए हैं| पिचाई इसके साथ ही अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी रहेंगे| वहीं गूगल के दोनों सहसंस्थापक सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज कंपनी में सहसंस्थापक, शेयरधारक और अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में बने रहेंगे| सर्गेई ब्रिन और लैरी पेज के पास कंपनी के कंट्रोलिंग वोटिंग शेयर हैं| पेज के पास 5.8% और ब्रिन के पास 5.6% शेयर हैं पिचाई के पास 0.1% होल्डिंग है| यानी कंपनी के फाउंडर कभी भी सीईओ को चुनौती दे सकते हैं| गूगल ने कहा है कि वोटिंग स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं होगा| विदित हो की 21 साल बाद लैरी पेज सिलिकॉन वैली की कंपनी के सीईओ पद से हटे और इसमें बड़े बदलाव की घोषणा अपने कर्मचारियों को लिखे अपने पत्र में की, जिसमें सुंदर पिचाई का बयान भी शामिल है| अपने बयान में सुंदर पिचाई ने स्पष्ट किया कि इस बदलाव से अल्फाबेट की संरचना या उसके काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा| उन्होंने लिखा, ‘मैं गूगल पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहूंगा और साथ ही कम्प्यूटिंग के दायरे को बढ़ाने और गूगल को हर किसी के लिए अधिक मददगार बनाने के अपने काम को करता रहूंगा|’

2004 में किया था गूगल जॉइन 

उन्होंने अपने ईमेल में बात को आगे बढ़ाते हुए कहा की, ‘साथ ही मैं अल्फाबेट और टेक्नॉलजी के जरिए बड़ी चुनौतियों से निपटने के उसके दीर्घकालिक उद्देश्य को लेकर उत्साहित हूं|’ वहीं दूसरी ओर गूगल का सीईओ बनाए जाने के बाद से लेकर अब तक के सुंदर पिचाई के नेतृत्व की तारीफ करते हुए पेज और ब्रिन ने कहा कि, ’भारतीय-अमेरिकी सीईओ हर दिन अपने उपभोक्ताओं, साझेदारों और कर्मचारियों के लिए प्रौद्योगिकी के प्रति गहरा जुनून पैदा करते हैं| जब हम सोचते हैं कि कंपनी को चलाने का बेहतर तरीका है तो हम कभी भी अपने आप को प्रबंधन की भूमिका से बांध कर नहीं रखते| अल्फाबेट और गूगल को दो सीईओ और अध्यक्ष की जरूरत नहीं है| सुंदर गूगल और अल्फाबेट दोनों के सीईओ होंगे| उनके पास कार्यकारी जिम्मेदारी होगी|’

उन्होंने आगे कहा, ‘सुंदर ने अल्फाबेट की स्थापना के वक्त, गूगल के सीईओ रहते हुए और अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य के नाते 15 वर्ष तक हमारे साथ निकटता से काम किया है| अल्फाबेट की स्थापना के बाद से अब तक हमने किसी और पर इतना भरोसा नहीं किया और उनके अलावा गूगल और अल्फाबेट का भविष्य में कोई इतने अच्छे तरीके से नेतृत्व नहीं कर सकता|’

गौरतलब है की पेज और ब्रिन ने 1998 में गूगल की शुरुआत की थी| रिस्ट्रक्चरिंग के तहत 2015 में गूगल ने पेरेंट कंपनी अल्फाबेट बनाई थी, ताकि सर्च और डिजिटल के प्रमुख कारोबार के अलावा दूसरे प्रोजेक्ट संभाल सके| उस वक्त पेज गूगल के सीईओ पद से इस्तीफा देकर अल्फाबेट के सीईओ बने थे| पिचाई को गूगल के सीईओ की जिम्मेदारी दी गई थी| उससे पूर्व पिचाई गूगल की एंड्रॉयड और क्रोम यूनिट का नेतृत्व कर रहे थे|

2015 में हुई थी अल्फाबेट की स्थापना 

गूगल ने 2015 में अपने कंपनी के स्वरूप में बदलाव करते हुए अल्फाबेट की स्थापना की थी| अल्फाबेट कई अलग-अलग कंपनियों का एक समूह है| अल्फाबेट गूगल को Waymo (स्वचालित कार) वेरिली (जैव विज्ञान) कैलिको (बायोटेक R&D) साइडवॉक लैब (शहरी नवोन्मेष) और लून (गुब्बारे की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपलब्धता) जैसे दूसरे संस्थानों से अलग करती है| फोर्ब्स के मुताबिक पेज की नेटवर्थ 58.9 अरब डॉलर (4.22 लाख करोड़ रुपए) और ब्रिन की 56.8 अरब डॉलर (4.07 लाख करोड़ रुपए) है| पिचाई की नेटवर्थ करीब 60 करोड़ डॉलर (4,300 करोड़ रुपए) होने का अनुमान है| अल्फाबेट मार्केट कैप में दुनिया की तीसरी बड़ी कंपनी है, उसका वैल्यूएशन 893 अरब डॉलर (64 लाख करोड़ रुपए) है|

कौन हैं सुंदर पिचाई?

सुंदर पिचाई का पूरा नाम सुंदरराजन पिचाई है| इनका जन्म तमिलनाडु के मदुरै में 12 जुलाई 1972 को हुआ| पिचाई ने 1993 में IIT खड़गपुर से बीटेक किया| उसी साल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिल गई| पिचाई ने वहां से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया| 2004 में गूगल जॉइन करने से पहले सॉफ्टवेयर कंपनी एप्लाइड मैटेरियल्स और मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकेंजी में काम किया था| 11 साल तक Google कर्मचारी के तौर पर काम करने के बाद साल 2015 में उन्हें गूगल का CEO बनाया गया|

पिचाई के सामने हैं कई चुनौतियां

सुंदर पिचाई के लिए आगे का सफर आसान नहीं है| उन्हें ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तब मिली है जब कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य जगहों पर प्राइवेसी और डेटा पर अविश्वास जांच और विवादों का सामना कर रही है| कंपनी ने शुरुआती आचार संहिता में संस्थापकों द्वारा जासूसी करने के आरोपों का भी सामना किया है| अल्फाबेट को इस वक्त अपनी वेयमो और वेरिली जैसी सब्सिडियरी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि गूगल के डिजिटल एडवरटाइजिंग जैसे कोर बिजनेस की ग्रोथ धीमी पड़ रही है| दूसरी ओर गूगल पर प्रतिद्वंदी कंपनियों को ऑनलाइन सर्च में ब्लॉक करने जैसे मामलों में जुर्माने लग चुके हैं| प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन के मामलों में कई देशों के रेग्युलेटर गूगल को दोषी ठहरा चुके हैं| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प गूगल पर राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाते रहे हैं| कंपनी को बीते एक साल के दौरान कई बार कर्मचारियों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा| यौन शोषण के आरोपी एंडी रुबिन को 9 करोड़ डॉलर का एग्जिट पैकेज देने के खिलाफ गूगल के हजारों कर्मचारियों ने पिछले साल प्रदर्शन किया था|

कर्मचारियों के भारी विरोध की वजह से ही गूगल को चीन में फिर से एंट्री की कोशिश का ड्रैगनफ्लाई प्रोजेक्ट रद्द करना पड़ा था| इतना ही नहीं कंपनी ने अमेरिका के रक्षा विभाग का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू करने से भी इनकार कर दिया, क्योंकि कर्मचारियों ने पिचाई से अपील की थी कि कंपनी को युद्ध क्षेत्र के कारोबार से दूर रखा जाए|

सुंदर पिचाई की पदोन्नति के साथ-साथ जिम्मेदारियां भी बढ़ी है और जिस प्रकार से उनका पूर्व में प्रदर्शन रहा है उससे उम्मीद है की वे इस बार भी उम्मीदों पर खड़े उतरेंगे|