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इन सर्विस के ख़राब होने पर आप वसूल सकतें हैं हर्जाना

बैंकों, बीमा कंपनियों और MUTUAL FUNDS से आप ले सकते हैं हर्जाना

अभी हाल ही में HDFC बैंक की ऑनलाइन सेवाएं कई दिनों तक ख़राब थी जिससे उसके ग्राहकों में गहरा असंतोष था| एक ऐसी ही खबर आई थी जिसमे इंग्लैंड से भारत आ रहे एयर इंडिया के विमान के 49 घंटे लेट होने पर उसके हरेक पैसेंजर को हर्जाने के तौर पर लगभग 50-50 हज़ार रूपए देने का आदेश आया था| हालांकि एयर इंडिया ने दावा किया की ज्यादातर पैसेंजर ने हर्जाने के उपर दावा नहीं किया| तो चलिए आज जानते हैं की खराब सर्विस की वजह से आप कहां और कितना हर्जाना वसूल सकते हैं|

इन्सुरेंस से लेकर बैंकों तक में है प्रावधान 

अगर इंश्योरेंस कंपनी डेथक्लेम समय पर सेटल नहीं कर पाती है तो उसे अंतिम जरूरी डॉक्युमेंट मिलने के दिन सेक्लेम की देय रकम से 2% ऊपर का ब्याज पेनल्टी के रूप में देना होता है| बीमा कंपनी केस से जुड़ी क्वेरी 15 दिनों के भीतर कर सकती है| क्या आपको पता है कि बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां और म्यूचुअल फंड्स कोपेमेंट की डेडलाइन मिस करने पर पेनल्टी देनी होती है? यहां तक कि टैक्स डिपार्टमेंट भी पेनल्टी से बचा नहीं है| हम यहां बता रहे हैं कि आप खराब सर्विस पर किस तरह मुआवजा मांग सकते हैं| अगर इंश्योरेंस कंपनी डेथ क्लेम समय पर सेटल नहीं कर पाती है तो उसे अंतिम जरूरी डॉक्युमेंट मिलने के दिन से क्लेम की देय रकम पर रीपो रेट (अभी 5.15%) से 2% ऊपर का ब्याज पेनल्टी के रूप में देना होता है| बीमा कंपनी केस से जुड़ी किसी भी तरह की क्वेरी क्लेम फाइल होने के 15 दिनों के भीतर ही कर सकती है| क्लेम अप्रूव हुआ है या नहीं, इसके बारे में कंपनी को समुचित दस्तावेज और स्पष्टीकरण मिलने के 30 दिनों के भीतर जानकारी देनी होती है| केस में इन्वेस्टिगेशन की जरूरत पड़ने पर जांच को 90 दिनों में पूरा करना होता है| जांच पूरी होने के 30 दिनों के भीतर क्लेम का पेमेंट करना होता है या उसे खारिज करना होता है| डेडलाइन मिस होने पर अंतिम डॉक्युमेंट मिलने के दिन से देय रकम पर बैंक रेट प्लस 2% का इंटरेस्ट देना होता है|

मैच्योरिटी, सर्वाइवल बेनिफिट और ऐन्यूटी क्लेम्स के सेटलमेंट में देरी पर पेनल्टी के तौर पर बीमा कंपनी को अंतिम डॉक्युमेंट मिलने के दिन से देय रकम पर बैंक रेट प्लस 2% का ब्याज देना पड़ता है| इंश्योरेंस कंपनी को बीमाधारक को ड्यू डेट से पहले सूचित करना होता है, पोस्ट डेटेड चेक भेजना होता है या ड्यू डेट पर रजिस्टर्ड अकाउंट में देय रकम जमा करानी होती है| NBT की एक रिपोर्ट के अनुसार लुक कैंसलेशन, सरेंडर, विदड्रॉल, प्रपोजल डिपॉजिट के रिटर्न की रिक्वेस्ट मिलने के बाद 15 दिन के भीतर रिफंड नहीं मिलने पर रिक्वेस्ट या अंतिम डॉक्युमेंट मिलने के दिन, जो भी बाद में आए, से देय रकम पर बैंक रेट प्लस 2% इंटरेस्ट की पेनल्टी ली जा सकती है|

जनरल इंश्योरेंस

अगर बीमा कंपनी समयपर क्लेम सेटल नहीं कर पाती है तो उसे पेनल्टी के तौर पर अंतिम डॉक्युमेंट मिलने के दिन से पेमेंट तक की अवधि के लिए बैंक रेट प्लस 2% का ब्याज देना होता है| कंपनी के पास क्लेम मानने या खारिज करने के लिए फाइनल सर्वे रिपोर्ट और संबंधित सूचना मिलने के बाद 30 दिनों का समय होता है|

हेल्थ इंश्योरेंस

क्लेम सेटलमेंट में देरी होने पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को अंतिम डॉक्युमेंट मिलने के दिन से पेमेंट तक बैंक रेट प्लस 2% का ब्याज बतौर पेनाल्टी देना होता है| वहीं रेगुलर केस में कंपनी को क्लेम 30 दिनों के भीतर सेटल करना होता है| केस में इनवेस्टिगेशन की जरूरत होने पर जांच अंतिम डॉक्युमेंट हासिल होने के 30 दिनों के भीतर पूरा करनी होती है और क्लेम 45 दिनों के भीतर सेटल करना होता है|

म्यूचुअल फंड

अगर रिडेम्शन याडिविडेंड की रकम अदा करने की रिक्वेस्ट के 10 दिनों या डिविडेंड डिक्लेयर होने के 30 दिनों बाद भी म्यूचुअल फंड पेमेंट नहीं कर पाता है तो उससे पेनल्टी के तौर पर 15% की दर से देय रकम पर देरी वाली अवधि के लिए ब्याज लिया जा सकता है|

बैंक

अगर ATM ट्रांजैक्शन में आपके अकाउंट से पैसे कट जाते हैं लेकिन कैश नहीं मिलता तो बैंक के पास उसे रिवर्स करने के लिए 6 दिन (ट्रांजैक्शन वाले दिन के बाद पांच दिन और) का समय होता है| डेडलाइन मिस होने पर बैंक पर सातवें दिन से 100 रूपए हर रोज की पेनल्टी शुरू हो जाती है|

POS (point of sale) मशीन

POS यानी किसी मर्चेंट के पास लगी मशीन से ट्रांजैक्शन के दौरान आपके खाते से पैसे निकल जाते हैं लेकिन चार्ज स्लिप जेनरेट नहीं होती है तो इसमें ट्रांजैक्शन रिवर्सल के लिए 6 दिन का समय होता है| इसके बाद 100 रूपए रोजाना की पेनल्टी शुरू हो जाती है|

ई-कॉमर्स लेनदेन

ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन करते वक्त कार्ड से पैसे कट जाएंलेकिन ट्रांजैक्शन पूरा न हो तो उसमें भी रिवर्सल के लिए 6 दिन का समय होता है और उसके बाद 100 रूपए रोजाना की पेनल्टी शुरू हो जाती है|

प्रीपेड वॉलिट

पेड वॉलिट प्रॉपराइटरी पेमेंट सिस्टम के इस्तेमाल के दौरान UPI (Unified Payment Interface)  पर IMPS (Immediate Payment Service) के जरिए फंड ट्रांसफर, ऑनलाइन खरीदारी फेल होने पर अगर आपके एकाउंट से पैसे कट जाते हैं लेकिन वेबेनेफिशियरी के एकाउंट में नहीं पहुंचते हैं तो आपको उसका रिवर्सल 2 दिन में मिल जाएगा| अगर ऐसा नहीं होता है तो आप तीसरे दिन से रोजाना 100 रूपए की पेनाल्टी के हकदार होंगे|

टैक्सेशन

अगर आपको अडवांस टैक्स या TDS के तौर पर अदा की गई अतिरिक्त रकम का रिफंड समय पर नहीं मिलता है तो आपको रिफंड पर हर महीने 0.5% का ब्याज मिलेगा लेकिन रिफंड की रकम टैक्स लायबिलिटी के 10% से कम होती है तो आपको उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा| अगर रिटर्न 31 जुलाई से पहले दाखिल किया गया है तो ब्याज असेसमेंट ईयर में 1 अप्रैल से रिफंड पेमेंट की तारीख तक के लिए मिलेगा| रिटर्न बाद में फाइल होने पर यह पीरियड तब से शुरू होगा| सेल्फ असेसमेंट टैक्स का पेमेंट ऐक्सेस होने पर रिफंड के लिए इंटरेस्ट पेमेंट वाला पीरियड उस दिन से शुरू होगा, जिस दिन टैक्स पेमेंट की गई होगी या रिटर्न दाखिल किया गया होगा (जो भी डेट बाद में आएगी)| डेडलाइन मिस होने के बाद असेसी को बकाया रिफंड पर हर महीने 0.5% की दर से ब्याज मिलेगा| अगर रिफंड टैक्स लायबिलिटी के 10% से कम है तो आपको कोई ब्याज नहीं मिलेगा|

इस तरह से आपको अपने अधिकारों का ज्ञान होना चाहिए| अक्सर आपकी गलतियों के लिए संस्थानों द्वारा आपर जुर्माना लगाया जा सकता है| अब आप अपना अधिकार जानतें हैं| अब आप भी संस्थानों के गलती के लिए उनसे हर्जाना वसूल सकते हैं|