बजट-2020 में दूरदर्शिता का अभाव : आशिमा गोयल
टैक्सेशन के मोर्चे पर सकारात्मक उपाय
न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य आशिमा गोयल का मानना है कि आम बजट में दूरदर्शिता का अभाव दिखा। हालांकि, फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य में ढील देना और इनकम टैक्स को सरल बनाना सकारात्मक कदम हैं। गोयल ने इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर डिवेलपमेंट रिसर्च में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के करीब तीन घंटे के भाषण में आर्थिक नरमी का एक बार भी जिक्र नहीं होना हैरान करने वाली बात है।
निराश करने वाला बजट:
इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर डिवेलपमेंट रिसर्च में आशिमा ने कहा कि , हालांकि बजट में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए राजकोषीय मोर्चे पर उपाय किया जाना और खर्च को लेकर जिम्मेदारी बरतना इसे संतुलित बनाता है। फिर भी ‘कुल मिलाकर बजट निराश करने वाला है क्योंकि नई सरकार के पहले बजट में जो दृष्टिकोण होने चाहिए थे, इसमें उनका अभाव है। भविष्य को लेकर दृष्टिकोण दिखना चाहिए था।’
आर्थिक नरमी का जिक्र नहीं:
गोयल ने कहा, ‘हैरान करने वाली बात रही कि ऐसे समय में जब हर कोई आर्थिक नरमी को लेकर हलकान है, करीब तीन घंटे के लंबे बजट भाषण में इसका एक भी बार जिक्र नहीं किया गया। इस बात की कोई चर्चा नहीं हुई कि बजट किस तरह से आर्थिक नरमी से जूझने वाला है।’उन्होंने कहा, हालांकि वित्त मंत्री ने अपने कदमों से संतुलन साधने का काम किया है।उनका बजट में आर्थिक नरमी से जूझने के लिए 2008-09 की तरह के उपायों का सहारा नहीं लेना सराहनीय है। तब राजकोषीय घाटे में चार प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई थी और ब्याज दर सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई थी।
टैक्सेशन के मोर्चे पर सकारात्मक उपाय:
आशिमा ने कहा कि टैक्सेशन के मोर्चे पर बजट में सकारात्मक उपाय किए गए हैं। गोयल ने कहा कि बजट में सरकार ने प्रत्यक्क्ष खर्च का अधिक जोर कैपिटल एक्सपेंडिचर पर रखा है, जिससे पता चलता है कि राजकोषीय मोर्चे पर गुणवत्ता पहले से बेहतर है। बजट में छोटी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की मदद के उपाय किए गए हैं, जो अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे क्योंकि अभी भी इस तरह की ज्यादातर कंपनियों के साथ तरलता का संकट है।