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BPCL का विनिवेश 30 सितंबर तक संभावित

पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसकी शुरुआती बोली को मंजूरी दे दी है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट-2020 में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपए का रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए BPCL का विनिवेश बेहद जरूरी है। 1.03 लाख करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण वाले BPCL में सरकार की 53.29% हिस्सेदारी है|इस अनुसार देखें तो विनिवेश से सरकार विनिवेश लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त कर लेगी|सीएनबीसी की खबर के मुताबिक देश की बड़ी पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल को बेचने के लिए मिली शुरुआती बोली को मंजूरी मिल गई है|

30 सितंबर 2020 तक कंपनी का विनिवेश संभावित:

CNBC की खबर के मुताबिक, पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसकी शुरुआती बोली को मंजूरी दे दी है|सरकार, 30 सितंबर 2020 तक कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रोसेस को पूरा करना चाहती है|विदित हो कि BPCL के पास 15,177 पेट्रोल पंप और 6,011 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन एजेंसियां हैं|इसके साथ ही इसके पास 51  पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) बॉटलिंग संयंत्र भी हैं|  20 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीपीसीएल के निजीकरण का फैसला किया था|इसके तहत बीपीसीएल में सरकार अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी और मैनेजमेंट कंट्रोल बेचना चाहती है|

BPCL के विनिवेश से मिलेंगे 54 हजार करोड़ रुपये

आर्थिक सुस्ती और राजकोषीय घाटे से बेहाल मोदी सरकार राजस्व के नए स्रोत सृजित करना चाहती है|विदित हो कि विभिन्न परोयोज्नाओं के लिए सरकार को बड़ी राशि की आवश्यकता है|इन्ही परिस्थितियों को ध्यान में रखकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को पेश किए अपने दूसरे बजट बजट में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विनिवेश का लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपए का रखा है| इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए BPCL का विनिवेश बेहद जरूरी है|बता दें बीपीसीएल का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस समय 1.03 लाख करोड़ रुपए के करीब है| इस आधार पर सरकार की हिस्सेदारी 54 हजार करोड़ रुपए के करीब है |यानी बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 54 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है|

सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये जुटा लिये हैं:

काबिलेगौर है कि  मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने रविवार को दिए एक बयान में कहा था कि विनिवेश के लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है|इसे तय समय में आराम से प्राप्त किया जा सकता है|चालू वित्त वर्ष की बात करें तो सरकार ने विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा था| इसके पूरा होने की संभावना न देखते हुए बजट में इस लक्ष्य को संशोधित कर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है|जिसमे से सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये जुटा लिये हैं|