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CBIC ने जारी किये 46K करोड़ ब्याज की रिकवरी के आदेश

जीएसटी पेमेंट में देरी के चलते बने लगभग 46,000 करोड़ रुपये के बकाया राशि की होगी उगाही।

CBIC ने 10 फरवरी को पत्र लिखकर जीएसटी पेमेंट के 46,000 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज की रिकवरी शुरू करने का आदेश जारी किया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) के मेंबर ए के पांडेय ने अपने जारी पत्र में प्रिंसिपल चीफ कमिश्नरों और चीफ कमिश्नरों को जीएसटी पेमेंट में देरी के चलते बने लगभग 46,000 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज की रिकवरी शुरू करने का आदेश दिए हैं।

अधिकारियों को देनी होगी रिपोर्ट 

CBIC की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, संबंधित अधिकारी वसूल की गई रकम की 10 फरवरी से शुरू हफ्ते में रिपोर्ट दें। गौरतलब है कि यह आदेश तब आया है जब फरवरी और मार्च के जीएसटी कलेक्शन को रिवाइज करके 1.15 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।

CBIC के आदेश के तहत कई तरह के तरीके बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल कर अधिकारी बकाया रकम की वसूली के लिए कदम उठा सकते हैं।’ इकॉनोमिक टाइम्स के अनुसार  इस पत्र में फील्ड ऑफिस को आदेश जारी कर कहा गया है कि वे सेंट्रल जीएसटी एक्ट सेक्शन 79 और सेक्शन 75 (12) के तहत ऐसे बकाया ब्याज की वसूली की प्रक्रिया शुरू करें। पत्र में यह बात भी साफ की गई है कि ब्याज टैक्स की कुल देनदारी के आधार पर चुकाया जाना है।

CBIC के आदेश कानून के दायरे में

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बकाया ब्याज की अवधि GST लागू किए जाने की तारीख से शुरू होकर अब तक जारी रहेगी, लेकिन अफसरों को रकम वसूल करने का जो आदेश जारी किया गया है वह कानून के दायरे में आता है क्योंकि बकाया कर चुकाने की जिम्मेदारी करदाता की होती है। GSTR 3B फॉर्म भरते समय जिन लोगों या एंटिटीज ने ब्याज नहीं चुकाया है उनकी सूची प्रिंसिपल एडिशनल डायरेक्टर जनरल (सिस्टम्स) के पास भेजी गई है। डिपार्टमेंट के मुताबिक बकाया कर पर लगे 45,996 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान नहीं हुआ है।

टैक्सपेयर्स दे सकते है चुनौती 

ऐसी आशंका है कि CBIC के इस कदम से टैक्सपेयर्स को दिक्कत हो सकती है और टैक्सपेयर्स उसकी मांग को चुनौती दे सकते हैं क्योंकि सरकार ने GST सिस्टम में माइग्रेशन के समय टैक्स रिटर्न की फाइलिंग इंटरेस्ट और पेनाल्टी दोनों माफ कर दी थी।

टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक CBIC के इस आदेश अर्थात बकाया टैक्स पर ब्याज की वसूली के लिए कार्यवाही शुरू किए जाने पर टैक्सपेयर्स की तरफ़ से मुकदमेबाजी का दौर शुरू हो सकता है।