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कोरोना वायरस ने बढ़ाई दवाई कंपनियों की मुश्किलें

Coronavirus India Update: कोरोना ने बढ़ाई दवाई कंपनियों की मुश्किलें

कोरोना वायरस का असर अब तो सीधे तौर पर भारत पर पड़ता दिख रहा है। खबरों के मुताबिक, देश में दवाओं का स्टॉक घट रहा है क्योंकि घरेलू दवा कंपनियों को चीन से रसायनों का आयात करने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि इससे देश में कई जरूरी दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं।

देश के प्रमुख दवा कंपनियों में से एक जायडस समूह के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा है कि चीन में कोरोना वायरस की स्थिति अगर जल्दी नहीं सुधरती है तो दवाओं में उपयोग होने वाले प्रमुख रसायनों की कीमतें बढ़ सकती हैं। थोक दवाओं के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 67.56 फीसदी है। पटेल ने कहा, ”अगर चीन में स्थिति जल्दी नहीं सुधरी तो दवाओं में कच्चे माल के रूप में उपयोग होने वाले प्रमुख रसायनों की कीमतें बढ़ सकती हैं।”

दवाओं का भंडार है 2 से 3 महीने तक का 

वित्त मंत्री निर्मला सीतामण ने मंगलवार को चीन में फैले खतरनाक कोरोना वायरस को देखते हुए विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें दवाईयां, कपड़ा, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर, सौर, वाहन, सर्जिकल उपकरण, पेंट, उर्वरक, दूरसंचार, मोबाइल विनिर्माण, खाद्य तेल, पोत परिवहन एवं पर्यटन समेत विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना वायरस का घरेलू उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिये जल्दी ही उपायों की घोषणा करेगी। औषधि विभाग पहले ही स्थिति का आकलन करने के लिये उच्च स्तरीय समिति गठित कर चुका है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारतीय दवा कंपनियों ने समिति को सूचित किया है कि उनके पास फिलहाल दो से तीन महीने का भंडार है। उल्लेखनीय है कि पड़ोसी देश से पिछले 20-25 दिनों से कोई आपूर्ति नहीं है। इसका मुख्य कारण चीन में नव वर्ष का अवकाश और उसके बाद कोरोना वायरस का फैलना है।

हालात कब सुधरेंगे इसका नहीं है अंदाजा 

इंडिया फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) ने चीन से कच्चे माल के आयात की स्थिति को “गंभीर” बताते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग के पास केवल दो से तीन महीनों के लिए सक्रिय फार्मास्युटिकल घटकों (एपीआई) का स्टॉक हैं। आईपीए के महासचिव सुदर्शन जैन ने बायो एशिया 2020 के मौके पर कहा कि वे लोग इस मुद्दे पर केंद्र के साथ संपर्क में हैं। इसके लिए कुछ एपीआई विनिर्माण इकाइयों के लिए तेजी से पर्यावरणीय मंजूरी की मांग कर रहे हैं, ताकि चीन पर निर्भरता कम हो।

जैन ने मार्च से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “यदि हमें मार्च के पहले सप्ताह (चीन से) से आपूर्ति मिलने लगी, तो हम समस्या से बाहर आने में सक्षम हो सकते हैं।” हालांकि, उन्होंने जोड़ा कि इस बात का अनुमान लगाना बेहद कठिन है कि हालत कब सुधरेंगे।