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Corona वायरस: खाद्य तेलों पर मंदी का संकट

पाम आयल के दाम में भारी गिरावट

कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया की मुश्किलों का सबब बन चुका है|चीन से शुरू हुए इस संकट के कारण दुनियाभर के बाजारों में मंदी का माहौल है|निर्यात एवं आयात के द्वारा पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्थाएँ एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं|भारतीय सन्दर्भों में देखे तो भारत में कृषि उत्पाद बाजार प्रभावित हुआ है। विदित हो कि भारत कृषि उत्पादों का प्रमुख निर्यातक देश  है|

पाम आयल के दाम में भारी गिरावट:

पाम तेल के दाम में आई भारी गिरावट का प्रभाव भारत में भी नजर आने लगा है|भारतीय बाजारों में तमाम तेल-तिलहनों में मंदी छा गई है| विदित प्रमुख पाम आयल आयातक चीन इस समय कोरोना वायरस से परेशान है|संक्रमण के प्रभाव से चीन के आयात काफी कमी आयी है|जिसके कारण पाम के प्रमुख उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल दाम में भारी गिरावट आई है। जानकारी के लिए बता दें पाम आयल दुनिया का सबसे सस्ता खाद्य तेल है|अतः इसकी कीमतों में कमी का प्रभाव अन्य खाद्य तेलों की कीमतों पर भी पड़ना तय है|

अब भारतीय तिलहन भी होंगे प्रभावित:

कोरोना संकट के बाद वैश्विक आंकड़ों की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पाम तेल का दाम करीब 100 डॉलर प्रति टन टूट गया है। जबकि भारत में पाम तेल के दाम में बीते एक महीने में करीब 10 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। पाम तेल सस्ता होने से सरसों, सोयाबीन, मूंगफली समेत अन्य तेलों के दाम में भी नरमी का रुख बना हुआ है। सरसों के फरवरी महीने के वायदा भाव में बीते एक महीने में 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। एनसीडीएक्स पर सरसों का भाव एक महीने पहले 13 जनवरी को 4,490 रुपये प्रति क्विंटल था जो कि गुरुवार को घटकर 4,039 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।

किसानों की मुसीबत बढ़ेगी:

रबी सीजन की फसल की आवक को देखते हुए ये कहना भी गलत नहीं होगा कि आने वाले दिनों में किसानों की परेशानी बढ़ सकती है| सरसों व अन्य तिलहन फसलों के दाम में आयी गिरावट के कारण किसानों को फसलों  का उचित दाम नहीं मिल पाएगा। इस प्रकार देखें तो चीन में कोरोना वायरस का प्रभाव भारत तक पहुँचता नजर आ रहा है| अगर किसानों को तिलहन फसलों का अच्छा भाव नहीं मिलेगा तो इसकी खेती में उनकी दिलचस्पी कम होगी| जिससे खाद्य तेल के मामले में भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।कीमत के लिहाज से देखें तो  मूंगफली सोया तेल और सूर्यमुखी तेल से महंगा है जबकि पाम तेल सबसे सस्ता है, इसलिए इसमें गिरावट का असर सभी तेलों व तिलहनों पर पड़ा है।