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फिल्म इंडस्ट्री की कमाई में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज

वर्ष  2019 के दौरान सिनेमाघर व्यवसाय के लिए बेहतरीन रहा, कमाई पहुंची 5.6 करोड़ रुपये।

एक तरफ़ आर्थिक मंदी की बात की जा रही है तो दूसरी तरफ़  फिल्म इंडस्ट्री की कमाई में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ हुई है। विशेषज्ञ का कहना है कि आर्थिक कठिनाई के दौर में लोग महंगे शौक के सस्ते विकल्पों को ढूंढते हैं। यही कारण है कि वर्ष   2019 के दौरान सिनेमाघर व्यवसाय के लिए बेहतरीन साबित हुआ है।

‘लिपिस्टिक इफेक्ट’ का प्रभाव 

नवभारत टाइम्स के अनुसार केयर रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में इसे ‘लिपिस्टिक इफेक्ट’ बताया है जिसमें महंगे श्रृंगार के अभाव को सस्ती होठ-लाली से ढंका जाता है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि बॉक्स ऑफिस कलेक्शन वर्ष 2019 में 27 प्रतिशत बढ़कर 5,613 करोड़ रुपये हो गया है और पिछले पांच सालों में साल दर साल इसमें 13.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।

सिनेमा टिकटों पर जीएसटी में कमी

गौरतलब है कि बेहतर सामग्री की उपलब्धता और सिनेमा टिकटों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में आई कमी ने भी फिल्मइंडस्ट्री की मदद की है। आज की तारीख में एक फिल्म की औसत कमाई 15 प्रतिशत बढ़कर 23 करोड़ रुपये तक जाती है जबकि शीर्ष -10 फिल्मों ने वर्ष 2019 के दौरान राजस्व के 42 प्रतिशत हिस्सेदारी को अपने खाते में लिया था।

बीते साल एक हॉलीवुड फिल्म ‘एवेंजर्स: एंडगेम्स’, ने भारतीय दर्शकों को खूब पसंद आया था और इस फिल्म ने अकेले 373 करोड़ रुपये की कमाई के साथ सबसे सफल वाणिज्यिक फिल्म के रूप में अपना नाम अंकित किया। पिछले साल के सात फिल्मों के मुकाबले वर्ष 2019 में तेरह फिल्मों ने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया, जबकि बॉलीवुड की छह फिल्मों ने 2019 में 200 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया।

विदेशी बाजारों पर निर्भरता

आजकल फिल्मों की अपने बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के लिए विदेशी बाजारों पर निर्भरता बढ़ती जा रही हैं और इसके लिए बेहतर उदाहरण है आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ जिसने अपने 1,968 करोड़ रुपये के कुल कलेक्शन का तीन-चौथाई से अधिक कमाई विदेशी बाजारों से की थी।

स्पष्ट है कि चीन, मध्य पूर्व, ताइवान, मलेशिया, हांगकांग और यूके जैसे भौगोलिक क्षेत्रों में भारतीय फिल्म सामग्री की प्रति लोगों की पसंद बढ़ती जा रही है। औसत टिकट की कीमत दिसंबर तक के नौ महीने में घट गई है, जिसका मुख्य कारण जीएसटी दरों में गिरावट आना है। केयर रेटिंग्स के एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह कर 50 प्रतिशत के स्तर से नीचे आ गया।