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FMCG की बजट-2020 से आशाएं

FMCG सेक्टर ने वित्त मंत्री को दी सलाह

बजट-2020 से हर वर्ग की उम्मीदें जुड़ी हैं| आर्थिक सुस्ती के माहौल में हर सेकत को बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं| इन उम्मीदों के आकलन के लिए ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पूर्व परामर्श बैठक का आयोजन किया था| इन बैठकों में उन्होंने लगभग हर सेक्टर से जुड़े उद्यमियों से मुलाकात की थी| इन बैठको में जो अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सके उनके लिए अन्य विकल्पों द्वारा परामर्श देने की व्यवस्था भी की गयी थी| FMCG सेक्टर ने इस क्रम में वित्त मंत्री को सलाह दी है|

क्या है FMCG?

FMCG अर्थात फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स। आसान शब्दों में कहें तो ये तेज़ी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएँ हैं।तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता सामान ऐसे उत्पाद होते हैं जिनका अपेक्षाकृत कम लागत पर उत्पादन होता है और यह उत्पाद तुरंत बिक जाते हैं| इनमे दूध, फल और सब्जियां, जूस, टॉयलेट पेपर, सोडा, वाशिंग पॉवडर, साबुन, टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन और एस्पिरिन जैसी दवाएं भी शामिल हैं।बता दें ये वो उत्पाद हैं जिनकी मांग हमेशा बनी रहती है और शीघ्रता से बिक जाते हैं।

ये है FMCG की मांग:

FMCG कंपनियों ने मांग में तेजी लाने के लिए सरकार से बजट-2020 में प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है| घोषणा से आशय ऐसी योजनाओं से है जिससे लोगों के हाथ में पैसा आए और वे ज्यादा से ज्यादा खर्च कर सकें। कंपनियों के अनुसार सरकार को लोअर इनकम टैक्स स्लैब, नौकरियों का सृजन और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए डायरेक्ट इंसेटिव जैसी घोषणा करनी चाहिए। विदित हो कि नीलसन के आंकड़ों के अनुसार जुलाई-सितंबर 2018 में पैकेज्ड गुड्स की बिक्री 16.2 फीसदी रही थी जो 2019 में समान अवधि में केवल 7.3 फीसदी रही है। एफएमसीजी सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि किसानों की आय कम होने और आर्थिक स्लोडाउन की वजह से नकदी की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्र में खपत में काफी कमी आई है। अतः सरकार को ग्रामीण हित एवं उपभोक्ता आधारित घोषणाएं करनी चाहिए|

मांग में तेजी लाने वाले कार्यक्रम:

FMCG के दिग्गजों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष जोर दिया है|विदित हो कि ईटी समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के एमडी वरुण बैरी ने कहा कि इनकम टैक्स के रेट में कटौती के अलावा ग्रामीण भारत में मनरेगा जैसे ग्रामीण क्षेत्र के कार्यक्रम और बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को शुरू करने की जरूरत है। एफएमसीजी सेक्टर के अन्य विशेषज्ञों का भी कहना है कि महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी जैसे अन्य कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में मांग में तेजी लाने के लिए काफी आवश्यक हैं।

पर्सनल टैक्स में कटौती:

FMCG सेक्टर के अन्य विशेषज्ञों के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को कॉरपोरेट टैक्स की तर्ज पर पर्सनल टैक्स में भी कटौती करनी चाहिए। इससे लोगों की जेब में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा।इस बचत से लोग खर्च करने के लिए प्रोत्साहित होंगे| जिससे बिक्री संकट पर नियंत्रण पाया जा सकेगा|