Foreign Institutional Investor (FII) एफआईआई क्या है
फॉरेन इंस्टिट्युशनल इन्वेस्टर अर्थात विदेशी संस्थागत निवेशक

शेयर बाजार से सम्बंधित ये एक ऐसा शब्द है जो बार बार सुनने को मिलता है। दलाल स्ट्रीट को इशारों पे रखने वाला, बाजार की चाल निर्धारित करने वाला यह एफआईआई बाज़ार से संबंधित समाचारों में प्रायः छपता है। अक्सर आप सुनते हैं कि एफआईआई की लिवाली या बिकवाली के कारण बाजार का यह हाल हुआ। एफआईआई, यानि कि फॉरेन इंस्टिट्युशनल इन्वेस्टर अर्थात विदेशी संस्थागत निवेशक। ये संस्थागत निवेशक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होते हैं। ये निवेशक स्वयं अपने देश के लोगों से बड़ी मात्रा में निवेश के लिए धन एकत्रित करते हैं और उनका अनेक देशों के शेयर बाजार में निवेश करते हैं। इन संस्थागत निवेशकों के ग्राहकों की सूची में सामान्य निवेश से लेकर बड़े बड़े निवेश – पेंशन फंड आदि होते हैं, जिसका एकत्रित धन एफआईआई अपनी कार्यनीति के अनुसार शेयर बाजार की विविध प्रतिभूतियों में निवेश करके उस पर लाभ कमाते हैं और उसका हिस्सा अपने ग्राहकों को पहुंचाते हैं। इन लोगों के पास धन काफी विशाल मात्रा में होता है और प्राय: ये भारी मात्रा में ही ख़रीद या बिक्री करते हैं जिससे शेयर बाजार की चाल पर सीधा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान समय में भारतीय शेयर बाज़ार पर उनका ऐसा वर्चस्व है कि लगता है, शेयर बाजार को वे ही चलाते हैं। वर्ष 2008 में जब अमेरिका में आर्थिक मंदी आयी थी तब इस वर्ग ने भारतीय पूंजी बाज़ार से अपना निवेश निरंतर निकाला था, जिससे भारतीय बाजार में भी गिरावट होती गयी। किसी भी एफआईआई को भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करने से पहले अपना पंजीकरण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities & Exchange Board of India- SEBI ) तथा भारतीय रिजर्व बैंक के पास करवाना होता है तथा इनके नियमों का पालन करना होता है। वर्तमान समय में सेबी के पास 1100 से अधिक एफआईआई पंजीकृत है।
भारतीय बाज़ार की तक़रीबन 80 कंपनियाँ ऐसी है जहाँ FII लगातार अपनी निवेश बढाती जा रही है। लगभग 30 कंपनी में FII की भागीदारी 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा है।
ख़ास भारतीय कंपनियां जहाँ FII की होल्डिंग बहुत मज़बूत हैं
- मिश्र धातु निगम – 5700 प्रतिशत
- एस्ट्राज़ेनेका फार्मा इंडिया – 382 प्रतिशत
- एल & टी टेक्नोलॉजी सर्विसेज – 171 प्रतिशत
- ए यू स्मॉल फाइनेंस बैंक – 141 प्रतिशत
- एस्टर डीएम हेल्थकेयर – 116 प्रतिशत
- ग्रीव्स कॉटन – 115 प्रतिशत
- आरती इंडस्ट्रीज़ – 103 प्रतिशत
भारतीय कंपनी जहाँ 50 प्रतिशत से ज़्यादा FII की भागीदारी है
- बाटा इंडिया – 78 प्रतिशत
- इनडुरेंस टेक्नोलॉजी – 66 प्रतिशत
- ट्राई डेंट – 66 प्रतिशत
- कोल इंडिया – 66 प्रतिशत
- ग्रैन्यूल्स इंडिया -63 प्रतिशत
- वैभव ग्लोबल – 52 प्रतिशत
- उषा मार्टिन – 51 प्रतिशत