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दिग्गज शेयरों को बेच रहे हैं निवेशक, कोरोना के डर से

भारतीय शेयर बाजार अपने शिखर स्तर से 35 फीसदी तक फिसल चुका है।

विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली कर रहे हैं। बीते एक महीने से वे दिग्गज कंपनियों के शेयरों में अपनी हिस्सेदारी बेचने को मजबूर हो रहे हैं। दरअसल, इस दौरान नया निवेश रुक चुका है और ग्राहक लगातार अपने मौजूदा निवेश को भुना रहे हैं।

कोरोना वायरस (कोविड-19) के चलते वैश्विक स्तर पर बाजारों में बिकवाली जारी है, जिसके चलते भारतीय शेयर बाजार अपने शिखर स्तर से 35 फीसदी तक फिसल चुका है। इस बिकवाली ने वैश्विक स्तर पर मंदी के आसारों को बढ़ा दिया है. इस वजह से निवेशक नए निवेश से कतरा रहे हैं और संभवत: वे भविष्य में निवेश करेंगे।

निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 57,000 करोड़ रुपये के बेचे शेयर

मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, बीते एक पखवाड़े में हेज फंडों के कई पार्टनर्स अपने पुराने निवेश की तरफ बढ़ रहे हैं। बाजार की लगातार जारी गिरावट में सुधार के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं और इस वजह से कुछ फंडों ने निवेश भुनाने को सीमित कर दिया है।

विदेशी निवेशकों को कानूनी सेवा देने वाली फर्म खैतान एंड कंपनी के पार्टनर सिद्धार्थ शाह ने कहा, “डर है कि इन फंडों के पार्टनर डिफॉल्ट कर जाएं। इस वजह से कई फंड निवेश भुनाने पर रोक लगा चुके हैं, जबकि कुछ इस विषय में सोच रहे हैं।”

फरवरी 19 के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 57,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। ज्यादातर बड़े आकार वाले फंड बीमा फंड या म्यूचुअल फंड होते हैं। इससे पहले तक विदेशी फंड गिरावट के दौरान निवेश कर सकते हैं, जबकि इस दफा वे नकदी पास रखने के पीछे भाग रहे हैं।

बाजार की उतार-चढ़ाव वाली स्थिति में बरतनी पड़ती है सतर्कता

विदेशी निवेशकों को सेवा देने वाली एक बड़ी ब्रोकरेज के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “निवेशक अपने निवेश के पीछे जा रहे हैं और इसने फंडों को काफी कठिन स्थिति में डाल दिया है। कोरोना के आने से पहले भी उनकी कुछ योजनाएं थीं। अब फंडों को वास्तविकता को स्वीकार कर नई रणनीति बनानी होगी।”

बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि आपातकाल जैसे हालातों से बचने के लिए निवेश भुनाने पर रोक लगाई गई है। इन फंडों को भुगतान के लिए न्यूनतम नकदी रखनी होती है और यदि एक ही दिन में बड़ी संख्या में भुनाने की मांग गई, तो इससे जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

विल्सन फाइनेंशियल सर्विसेज की निदेशक नेहा माल्वीय ने कहा। “फंड डॉक्यूमेंट में निवेश भुनाने पर रोक का बिंदु होता है।फंड का बोर्ड निवेशक द्वारा निवेश भुनाने की याचिका पर फैसला लेने का अधिकार रखता है। बाजार की उतार-चढ़ाव वाली स्थिति में फंडों को खासी सतर्कता बरतनी पड़ती है। ”

एशियाई बाजारों से डर हुआ शुरू

यह डर एशियाई बाजारों से शुरू हुआ। चीन के बाद दक्षिण कोरिया, जापान और फिर भारत का नंबर आया। इससे कुल 10 से 15 फीसदी तक असर पड़ा। अब इसकी गिरफ्त में अमेरिका और यूरोपीय बाजार आ रहे हैं। बाजार जानकारों का मानना है कि बाजार के भविष्य की तस्वीर भी निराश करती है।

डोयचे बैंक के सिक्योरिटीज सेवा प्रमुख श्रीराम कृष्णन ने कहा, “बाजार में जबरदस्त बिकवाली देखने को मिल रही है। हम सब कोरोना वायरस की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इसमें अमेरिका प्रमुख है। जैसी वापसी चीन और दक्षिण कोरिया ने की है, हमें उम्मीद है कि अमेरिका और अन्य बाजार भी ऐसा ही करेंगे।”