सोनभद्र में सोने की खदान की खबर निकली झूठी, जानें पूरा सच
सोनभद्र का नाम पुरानी कहानियों में भी आकूत स्वर्ण भंडार होने के लिए दंतकथाओं में लिया जाते रहा है

भारत एक ऐसा देश है जहां पर अफवाहें WIFI की स्पीड से भी ज्यादा तेज़ फैलती हैं| उसपर भी अगर उस खबर पर सरकारी मुहर हो तो अफवाह, अफवाह न होकर सच मान ली जाती हैं| सोनभद्र में भारत के स्वर्ण भंडार से पांच गुना ज्यादा सोना मिलने की खबर के साथ भी यही हुआ| सोनभद्र में सोने की 3000 टन के भंडार की खबर से न सिर्फ पूरा देश खुश था, बल्कि पूरा विश्व विस्मित और स्तब्ध था|
दावे का 1% भी नहीं है स्वर्ण भंडार
मगर अब भारत की जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने इस खबर पर पूर्ण विराम लगा दिया है| GSI ने कहा है कि सोनभद्र की सम्पूर्ण खदान में 3000 टन नहीं बल्कि मात्र 160 किलो सोना है| जोकि दावे का एक प्रतिशत भी नहीं है|
मात्र 160 KG सोना निकलेगा:
GSI के निदेशक जी.एस. तिवारी ने बताया कि सोनभद्र की खदान में 3000 टन सोना होने की बात को जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया नहीं मानता| सोनभद्र में 52806 टन स्वर्ण अयस्क होने की बात कही गई है न कि शुद्ध सोना| सोनभद्र में मिले स्वर्ण अयस्क से प्रति टन सिर्फ 3.03 ग्राम ही सोना निकलेगा| इस तरह से पूरे खदान स्वर्ण अयस्क को अगर शुद्ध सोने में परिवर्तित किया जाए तो मात्र 160 किलो सोना ही प्राप्त होगा|
राज्य सरकार के दावे पर GSI का विराम
विदित हो कि उत्तर प्रदेश के ‘स्टेट डायरेक्टरेट जियोलॉजी एंड माइनिंग (DGM), उत्तर प्रदेश’ ने केंद्र सरकार को भेजे लेटर में सोनभद्र के क्षेत्र में 3350 टन सोने का भंडार होने की बात कही थी| जब यह खबर मीडिया में बाहर आई तो चारो तरफ इस बस सोनभद्र की ही चर्चा होने लगी| मगर अंततः GSI ने DGM के साथ संयुक्त रूप से बाहर आकर इस खबर पर विराम लगाया|
ज्ञात हो कि सोनभद्र का नाम पुरानी कहानियों में भी आकूत स्वर्ण भंडार होने के लिए दंतकथाओं में लिया जाते रहा है जिसमें एक राजा के हमले से बचने के लिए सोनभद्र के राजा ने अपनी धन संपदा को जमीन में छुपा दीया था, जो अभी भी उस क्षेत्र के चरवाहों द्वारा सुरक्षित राखी जाती है|