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GST से राहत कर संग्रह बना मुसीबत

3 जनवरी तक इनकम टैक्स​ डिपार्टमेंट ने महज 7.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए

बजट-2020 से पहले राजकोषीय घाटा चर्चा में है|सरकार द्वारा किया गया कर संग्रह अनुमान से काफी कम है|साल 2019 सरकार के लिए काफी मुश्किलों से भरा रहा था|इस दौरान आर्थिक सुस्ती ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया| वैश्विक मंदी से प्रभावित होने के कारण मोदी सरकार की आमदनी और प्रत्यक्ष कर संग्रह में गिरावट आयी|बीते साल के कुछ महीनों में GST संग्रह की गिरावट मुश्किल का सबब बनती नजर आयी तो 2019 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार प्रत्यक्ष कर संग्रह से सरकार की आमदनी पर बुरा प्रभाव पड़ा है|

GST कलेक्शन में राहत:

वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के लिए राहत की खबर है संग्रह में सुधार| वित्त वर्ष 2019 अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के महीनों में GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये से कम रहा था|उसके नवंबर और दिसंबर महीने में लगातार GST कलेक्शन 1 लाख करोड़ के पार पहुंचा|विदित हो कि दिसंबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 3 हजार 184 करोड़ रुपये रहा,जबकि नवंबर में जीएसटी कलेक्शन कुल 1,03,492 करोड़ रुपये रहा था|जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद सर्वाधिक जीएसटी कलेक्शन 1.13 लाख करोड़ रुपये अप्रैल 2019 में  हुआ था|

प्रत्यक्ष कर संग्रह में आयी गिरावट:

राजस्व के मोर्चे पर जूझती मोदी सरकार को GST कलेक्शन से राहत मिली तो अब कर संग्रह मुसीबत बन गया है|आंकड़ों के अनुसार 3 जनवरी तक इनकम टैक्स​ डिपार्टमेंट ने महज 7.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जबकि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लक्ष्‍य 13.5 लाख करोड़ रखा था|न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक 23 जनवरी तक टैक्स​ डिपार्टमेंट ने सिर्फ 7.3 लाख करोड़ रुपये ही जुटाए हैं|पिछले वित्त वर्ष में सामान अवधि से अगर तुलना करें तो टैक्‍स कलेक्‍शन 5.5 फीसदी कम है|प्रत्यक्ष कर संग्रह सरकार की आय सबसे बड़ा हिस्सा होता है|सरकार अपनी आय का 80 प्रतिशत राजस्व डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन से जुटाती है|चालू वित्त वर्ष (1अप्रैल 2019- 31 मार्च 2020) में टैक्‍स कलेक्‍शन का लक्ष्‍य लगभग 6.2 लाख करोड़ रुपये दूर है|राजस्व कम होने की स्थिति में सरकार को कर्ज लेना पड़ सकता है| ऐसा होना अर्थव्यवस्था के नजरिये से अच्छा नही कहा जा सकता|