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भारत आपात स्थिति के लिए गुफाओं में कर रहा कच्चा तेल जमा

1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने ये फैसला लिया था।

भारत के पास कच्चे तेल का भंडार बहुत कम है। भारत को आपात स्थिति में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया है। ओड़िसा और कर्नाटक में जमीन के अन्दर पहाड़ी गुफाओं में कच्चे तेल को जमा किया जाएगा। कच्चे तेल के भंडार आपात स्थिति में काम आयेंगे। सरकार चाहती है आपात स्थिति में देश को मुश्किलों का सामना न करना पड़े।

सरकार के हिसाब से फिलहाल भारत के पास कच्चे तेल का भंडारन सिर्फ 12 दिनों तक का है। आपात स्थिति अगर ज्यादा दिन चल गई तो भारत देश के सामने बहुत ज्यादा मुश्किलें आ जायेंगी। इसके लिए सरकार ने ये फैसला लिया है। ओड़िसा और कर्नाटक में जमीन के निचे कच्चे तेल का भंडार किया जाएगा ताकि देश आपात स्थिति को निपटने में मजबूत रहे। भूमिगत भंडारन करीब 65 लाख टन तेल के लिए बनाया जाएगा। ये भण्डारण 22 दिनों तक का होगा।

आपात स्थिति को देखते हुए लिया फैसला 

ऐसा नहीं है के भारत के पास तेल भण्डारण नहीं है। देश के पास 3 भूमिगत भण्डारण है जिनमे 53 लाख टन कच्चा तेल आपात स्थिति के लिए हमेशा जमा रहता है। आपात स्थिति के लिए तो है ही लेकिन आयल मार्केटिंग और प्रोडक्शन कंपनियां भी कच्चा तेल मांगती हैं। कच्चे तेल के भंडार जमीन के सकड़ों फुट नीचे पत्थरों को काट कर बनाया जाता है। ये सुविधा कच्चे तेल की सुरक्षा के लिए बेहतर है। इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व लिमिटेड भूमिगत भंडार निर्माण का काम करती है।

भूमिगत भंडार बनाने का फैसला 1998 में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लिया था। उस वक़्त खाड़ी देशों में चले युद्ध के कारण भारत दिवालिया हो चूका था। लेकिन उस वक़्त वित्त मंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक हालातों को मजबूत बनाने का काम किया। मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, निजीकरण, और वश्वीकरण की निति से भारत की अर्थव्यवस्था को पटरी पे लाने का काम किया।

सस्ते दामों पर भारत कर रहा कच्चा तेल जमा 

1998 के हालातों को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने ये फैसला लिया था। भारत में कच्चे तेल के भंडार को बढाया जाएगा। ताकि भारत हर आपात स्थिति से आसानी से पार पा सके। अटल बिहारी की योजना को नवनिर्मित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओड़िसा और कर्नाटक में कच्चे तेल के भंडार बनाने का फैसला लिया है।

कच्चे तेल के भंडार के लिए 2018 में संयुक्त अरब अमीरात से कच्चे तेल की पहली खेप आई ये संयोग ही है जो कोरोना वायरस के कारण कच्चे तेल की कीमत में काफी कमी आई है। भारत को कच्चा तेल बहुत कम कीमत पर मिला है। ये कच्चे तेल की खेप 30 प्रतिशत की नरमी के साथ 40 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से खरीदा है। फ़िलहाल भारत सस्ते दाम पर ज्यादा से ज्यादा तेल जमा करने की सोच रहा है।