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Moody’s ने भारत के विकास दर को घटाकर आधे से भी कम किया

आज RBI द्वारा उठाए गए क़दमों से भारत के विकास दर में वृद्धि होने का अनुमान है

वैश्विक रेटिंग एजेंसी Moody’s ने आज जारी अपने विकास दर अनुमानों में भारत के सकल विकास दर ( GDP ) को साल 2020 के लिए 5.3% से घटाकर 2.5% कर दिया है| ज्ञात हो कि इस साल में Moody’s ने तीसरी बार भारत के विकास दर में कटौती की है| विदित हो कि रेटिंग एजेंसी Moody’s द्वारा जारी  ‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020-21’ में आगामी वर्ष में भारत सहित दुनिया भर के देशों का विकास अनुमान बताया है| ज्ञात हो कि इससे पूर्व रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ( RBI ) और SBI के अनुमानों में भी पूर्व से निर्धारित विकास दर अनुमान के कम होने की बात कही गई है|

इन 2 कारणों से कम होगा भारत का विकास दर

  1. Moody’s ने‘ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020-21’ के भारत विकास दर वाले भाग मने भारत के विकास दर के कम होने के पीछे कई कारण बताएं हैं| Moody’s ने भारत के संदर्भ में अपने अनुमान में कहा है कि, ‘ भारत की अनुमानित विकास दर के हिसाब से भारत में 2020 में आय में तेजी से कमी हो सकती है| इससे 2021 में घरेलू मांग और आर्थिक स्थिति में सुधार की दर पहले से अधिक प्रभावित होगी|
  2. Moody’s ने आगे कारण गिनाते हुए कहा है कि, ‘भारत में वाणिज्यिक बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के पास लोन देने के लिए नकद धन की भारी कमी के कारण भारत में कर्ज हासिल करने को लेकर पहले से ही बाधा चल रही है|’

Moody’s ने वैश्विक विकास दर में भी भारी कटौती

वैश्विक रेटिंग एजेंसी Moody’s ने वैशिविक विकास दर में भी भारी कटौती की है और साल 2020 के लिए वैश्विक विकास दर को 2.6% से घटाकर 2.15 कर दिया है| Moody’s द्वारा वैश्विक विकास दर में इस कटौती के पीछे कारण कोरोना वायरस को बताया गया है| ज्ञात हो कि अभी भारत सहित दुनिया के बहुत से देशों में लॉकडाउन चल रहा है, जिससे व्यापार ठप्प पड़ चूका है| यह सनकत अभी कुछ समय और भी जारी रहने का अनुमान है, जिससे वैश्विक विकास दर बहुत नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी|

RBI के उठाए क़दमों से बढेगा भारत का विकास दर  

ज्ञात हो कि आज RBI ने रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट में कमी करने के साथ CRR को भी कम करने का कदम उठाया है| RBI के इन क़दमों कमर्शियल बैंकों के पास लोन देने के लिए पर्याप्त धन आएगा, जिससे बाज़ार में धन की उपलब्धता बढेंगी|

RBI के इन क़दमों से उम्मीद है कि अगली बार जब Moody’s की रेटिंग फिर से जारी होंगी तो विकास पूर्वानुमान में सुधार होगा, क्योंकि Moody’s ने भारत के विकास दर कम करने के पीछे जो सर्वप्रमुख कारण बताया है वह कारण है कि कमर्शियल बैंकों और NBFC के पास लोन देने के लिए पर्याप्त धन नहीं है|