Arthgyani
होम > न्यूज > टाटा संस-मिस्त्री विवाद में NCLAT के फैसले में बुनियादी कमी- सुप्रीम कोर्ट

टाटा संस-मिस्त्री विवाद में NCLAT के फैसले में बुनियादी कमी- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीमकोर्ट ने मंजूर की टाटा संस की याचिका

सायरस मिस्त्री के टाटा समूह के प्रधान बनाने के NCLAT के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है| यह सायरस मिस्त्री और टाटा समूह के विवाद में एक नया मोड़ है| शुक्रवार को टाटा संस और सायरस मिस्त्री विवाद मामले में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है| सायरस मिस्त्री को चेयरमैन नियुक्त करने के आदेश पर रोक लगाई गई है| सुप्रीम कोर्ट ने सायरस मिस्त्री को टाटा संस का एग्जिक्युटिव चेयरमैन बनाने के NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है|

उच्चतम न्यायालय NCLAT के आदेश को चुनौती देने वाली टाटा संस की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है| कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को भी नोटिस जारी किया है| हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से रतन टाटा और टाटा समूह को बड़ी राहत मिली है|

NCLAT के फैसले में बुनियादी कमी- सुप्रीम कोर्ट 

इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने याचिका में उठाए गए सवालों पर साइ‍रस मिस्त्री से जवाब तलब किए गए हैं| गौरतलब है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली न्यायाधिकरण (NCLAT) ने 18 दिसंबर 2019 को दिए अपने आदेश में साइरस मिस्त्री को टाटा संसद के कार्यकारी चेयरमैन पद पर फिर से बहाल किए जाने का आदेश दिया था, इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में टाटा समूह की ओर से चुनौती दी गई थी| सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NCLAT के आदेश में बुनियादी कमी है| कोर्ट ने कहा कि हमने NCLAT के न्यायिक रवैये को देखा तो यह पाया कि इसमें बुनियादी कमी थी|

विदित हो कि 18 दिसंबर 2019 को NCLAT ने सायरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाटा संस प्राइवेट लिमटेड (TSPL) के कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर बहाल करने का आदेश दिया था| फैसले में एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अवैध करार दिया गया था| NCLAT के फैसले के कुछ दिन बाद हाल ही में सायरस मिस्त्री ने कहा था कि टाटा समूह में किसी भी भूमिका में लौटने में उनकी कोई रुचि नहीं है|

NCLT में केस हार गए थे सायरस मिस्त्री 

इसके पूर्व नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने साइरस मिस्त्री को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था| यह याचिकाएं दो निवेश फर्मों साइरस इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट कॉर्प के द्वारा दाखिल की गई थीं| इसके बाद मिस्त्री ने खुद NCLAT में संपर्क किया था|

रतन टाटा के 2012 में रिटायर होने पर सायरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन बने थे| सायरस मिस्त्री टाटा संस के छठे चेयरमैन थे| मगर मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन और समूह की कंपनियों के निदेशक मंडलों से टाटा संस के बोर्ड ने अक्टूबर 2016 में चेयरमैन पद से हटा दिया गया था| दो महीने बाद मिस्त्री ने टाटा संस के इस फैसले को NCLT की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी| मिस्त्री की तरफ से उनके परिवार की दो निवेश ने NCLT में याचिका दायर की थी| इन कंपनियों में सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प शामिल हैं| मगर NCLT ने जुलाई 2018 में मिस्त्री के दावे को रद्द कर दिया था| उसके बाद NCLAT में अपील करने के बाद सायरस मिस्त्री को बहाली का फरमान मिला था, मगर टाटा संस को सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 4 हफ़्तों का समय मिला था, जिसके तहत आज 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के फैसले पर रोक लगा दी| इसका यह भी अर्थ लगाया जा सकता है कि सायरस मिस्त्री को फिलहाल और इंतज़ार करना होगा|