एनपीए(npa) की मार से बैंकिंग बेजार
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 95,700 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी

बैंक किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह हैं| ऐसे में बैंकों की बढ़ रही गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकता है|भारतीय बैंकिंग वर्तमान में ऐसे ही हालातों से रूबरू हो रही है| बीते कुछ सालों में भारतीय बैंकों को नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़ों से जुड़े फ्रॉड के केसेस से जूझना पड़ा है।इन हाई प्रोफाईल मामलों ने बैंकिंग को बुरी तरह झकझोर के रख दिया है|दुर्भाग्य की बात है बैंकिंग फ्रॉड के मामले फिलहाल थमते नजर नही आ रहे|जिसका खामियाज़ा निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को चुकाना पड़ रहा है|
एनपीए और उसके दुष्प्रभाव:
किसी भी बैंक के लोन को तब एनपीए (non performing assets) में शामिल कर लिया जाता है, जब तय तिथि से 90 दिनों के अंदर उस पर बकाया ब्याज तथा मूलधन की किस्त नहीं चुकाई जाती|एनपीए बैंकों को तीन प्रकार से प्रभावित करता है|
- उनकी लोन देने की क्षमता घट जाती है|
- उनके मुनाफे में कमी आती है|
- उनके नकदी का प्रवाह घट जाता है|
वर्तमान स्थिति:
भारत के वर्तमान बैंकिंग हालात भी कमोबेश पहले जैसे ही हैं|सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 95,700 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के 5,743 मामलों की सूचना दी है। यह जानकारी मंगलवार को संसद में दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट किए गए वर्ष के दौरान एक अप्रैल 2019 से 30 सितंबर 2019 की अवधि में 95,760.49 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 5,743 मामले हुए।
वित्तमंत्री ने लिखित उत्तर में बताया:
वित्त मंत्री ने अपने लिखित उत्तर में सदन को बताया कि 3.38 लाख निष्क्रिय कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगाने सहित बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक उपाय किए गए हैं। इस बीच एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिए जाने के बाद बैंक के 78 प्रतिशत जमाकर्ता अपने खाते की पूरी राशि निकाल सकेंगे। पीएमसी बैंक के 23 सितंबर, 2019 को (आरबीआई निर्देश लागू होने के दिन), पीएमसी बैंक के कुल खाताधारकों की संख्या 9,15,775 थी।
बैंकिंग विलय:
बता दें दूसरी तिमाही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को फायदा तो जरूर हुआ है, लेकिन 2018 की दूसरी तिमाही के मुकाबले कमाई में करीब 40 फीसदी की कमी आई है। दूसरी तिमाही में SBI को 945 करोड़ का फायदा हुआ है, जबकि पिछले साल कुल 1581 करोड़ का फायदा हुआ था।काबिलेगौर है SBI देश का सबसे बड़ा बैंक है| बैंकों की हालत खराब होने की वजह से ही सरकार ने बीते दिनों विलय का फैसला लिया था|जिसके तहत 6 सरकारी बैंकों को 4 बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया।
अन्य वर्षों में आंकड़े:
विगत वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रत्याशित रूप से 71,500 करोड़ रुपए से संबंधित बैंक फ्रॉड के 6,800 केस सामने आए थे|जबकि 2017-18 में 41,167.03 करोड़ रुपए के फ्रॉड के 5,916 केस हुए थे।ये आंकड़े रिजर्व बैंक (RBI) ने जारी किये थे।विदित हो कि नीरव मोदी प्रकरण के बाद इतने बड़े स्तर पर हुए फ्रॉड्स को देखते हुए एंटी करप्शन वाचडॉग सेंट्रल विजिलैंस कमीशन (सीवीसी) को एक विश्लेषण करना पड़ा और उसे 100 बड़े फ्रॉड्स से जुड़े एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ी थी।