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SEBI ने IL&FS घोटाले में तीनों रेटिंग एजेंसियों को भेजा फ्रेश नोटिस!

ICRA ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि उसे नोटिस मिला है, जबकि बाकी दोनों एजेंसी से नहीं मिला कन्फर्मेशन

भारत की मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) के शैडो लेंडर घोटाले के बारे में बॉन्ड निवेशकों को चेतावनी देने में विफल रहने के लिए 3 रेटिंग कंपनियों को नए सिरे से फ्रेश नोटिस भेजा है| ज्ञात हो कि SEBI ने यह स्वतः संज्ञान इस बात पर लिया कि 26 दिसंबर को उनपर जो जुर्माना लगाया गया वह नाकाफी था|

सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि SEBI अध्यक्ष अजय त्यागी सहित एक बड़े वर्ग को लगता था कि जुर्माना नाकाफी है| ICRA, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड और क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (CARE) का नाम इस लिस्ट में शामिल है|

ICRA ने स्टॉक एक्सचेंजों को किया है सूचित 

जानकारी के लिए बता दें कि रेटिंग एजेंसियों में इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड और CARE ने कन्फर्मेशन के लिए भेजे गए ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया, वहीं ICRA ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि उसे नोटिस मिला है|

ज्ञात हो कि तीनों रेटिंग जेंसियों पर जो 25 लाख का मामूली जुर्माना लगाया गया था| इस मामूली जुर्माने की रकम से निवेशकों सहित बहुत सी आर्थिक संस्थाओं की भंवे तन गई थी| जानकारी के लिए बता दें कि उपरोक्त तीनों एजेंसियों ने IL&FS को सितंबर 2018 में डिफ़ॉल्ट से पहले AAA की उच्चतम रेटिंग दी थी, भले ही इसकी इकाई अगले वर्ष के जून में डिफ़ॉल्टर हो गई थी|

IL&FS पर ऋण दायित्वों के चुक का है मामला 

IL&FS ने ऋण दायित्वों की एक श्रृंखला पर चूक की थी, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में संकट पैदा हो गया| क्योंकि चुकी बैंकों और म्यूचुअल फंडों ने गैर-बैंक ऋणदाताओं के लिए अपने जोखिम में कटौती की थी, बदले में, गैर-बैंकिंग आर्थिक संस्थाओं ने कारों, दोपहिया वाहनों और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण देने पर रोक लगा दी, जिससे मांग में गिरावट आई और भारत में छाई आर्थिक मंदी और खराब हो गई|

SEBI के धारा 15 (I) के तहत हुई कार्रवाई 

एक वरिष्ठ नियामक अधिकारी ने कहा, ‘सेबी बोर्ड ने इन रेटिंग एजेंसियों के आचरण को सेबी अधिनियम की धारा 15 (I) के तहत दंडात्मक कार्रवाई पर नए सिरे से गौर करने के लिए पर्याप्त पाया है|’

लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार विदित हो कि धारा 15 (I) के तहत, सेबी बोर्ड कार्यवाही के रिकॉर्ड के लिए कॉल कर सकता है और जांच कर सकता है, अगर वह सहायक अधिकारी द्वारा पारित आदेशों को गलत मानता है और प्रतिभूति बाजारों के हित में नहीं है| मामले की जांच करने के बाद, सेबी बोर्ड जुर्माना की मात्रा बढ़ा सकता है| हालांकि, ऐसे असाधारण आदेशों को पारित किए बिना बाजार संस्थाओं को सुनने का अवसर दिए बिना पारित नहीं किया जा सकता है|