Secondary Offering – सेकेंड्री औफरिंग
यह वह स्टॉक्स होते है जिन्हें कम्पनी बड़े गौर से देखती है और फिर कुछ समय के बाद इनकी भी सेल कर देती है और जो ऐसे स्टॉक्स होते है उन्हे सेकेंडरी औफरिंग बोलते है| ऐसा कम्पनिया तब करती है जब उन्हें अपने स्टॉक्स से ज्यादा फ़ायदा कमाना होता है|
जब कोई कम्पनी अपने शेयर्स के प्राइस में सेकेंडरी ओफ्फेरिंग के ज़रिए वृद्धी लाती है तब स्टॉफ प्राइस पर उसका निगेटिव प्रभाव पढता है|
सेकेंड्री औफरिंग को सेकेंड्री डिस्ट्रीब्यूशन भी कहा जाता है यह IPO से अलग होती है जिसमे शेयर की सेल से जो लाभ होता है वो शेयर होल्डर को जाता है बेचने वाले शेयर धारक मूल रूप से इक्विटी के बदले शेयरों के लिए भुगतान करते हैं।