Vote on Account – वोट ऑन अकाउंट
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जब केंद्र सरकार पूरे साल के बजाय कुछ महीनों के लिए संसद से आवश्यक खर्च की अनुमति लेती है तो वह वोट ऑन अकाउंट पेश करती है। इसमे सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी ली जाती है।
अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ अवधि के लिए होते है लेकिन दोनों को पेश करने के तरीका अलग होता है। अंतरिम बजट में सरकार खर्च के अलावा राजस्व का ब्यौरा देती है जबकि वोट ऑन अकाउंट में सिर्फ खर्च के लिए संसद से अनुमति लेती है।