“ईज ऑफ डूइंग” बिजनेस की लिस्ट में भारत टॉप 10 देशों में शामिल
भारत 14 पायदान की छलांग लगा कर अब 63वें नंबर पर है।
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वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी किए गए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की लिस्ट में भारत को सबसे बेहतर परफॉर्मेंस करने वाले टॉप 10 देशों में शामिल किया है। भारत 14 पायदान की छलांग लगा कर अब 63वें नंबर पर है। गौरतलब है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत की स्थिति पहले से और बेहतर हुई है। यही वजह है कि वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी किए गए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की लिस्ट में भारत को तीसरी बार शामिल किया है।
हैरत की बात है कि वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग उस समय आई है जब भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी की बात हो रही हैं। जी हाँ
आरबीआई, वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ जैसे संस्थान ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में इन दिनों मंदी है।
रैंकिंग की दौड़
ज्ञात हो कि साल 2014 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत 190 देशों की सूची में 140वें पायदान पर था। जबकि थोड़ा संभलते हुए भारत ने अपनी स्थिति मे सुधार कर साल 2018 तक 100वें पायदान पर जगह बना ली थी। वहीँ पिछले साल यानि 2019 में भारत ने 23 पायदान की छलांग के साथ 77वें स्थान पर अपनी जगह सुनिश्चित कर ली। वर्तमान में भारत 14 पायदान की छलांग के साथ 63वें नंबर पर आकर टॉप 10 देशों में शामिल हो गया है।
IMF का भारत के बारे में बयान
ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि भारत ने अपनी अर्थव्यस्था के लिए बुनियादी बातों पर काम किया है लेकिन समस्या का समाधान करना भी जरूरी है। समाचार एजेंसियों से मिली ख़बरों के अनुसार IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जियोर्जिवा वॉशिंगटन डीसी में कहा था कि भारत ने बुनियादी चीजों पर बेहतर काम किया है लेकिन अर्थव्यवस्था से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं हैं जिसका हल करना जरूरी है। खास तौर पर नॉन-बैंकिंग क्षेत्र में हालात बेहतर करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी विकास दर अनुमान में कटौती की है। IMF ने भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (GDP) का अनुमान घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ के मुताबिक घरेलू मांग उम्मीद से ज्यादा कमजोर रहने की पूरी संभावना बन रही है। आईएमएफ ने ये भी कहा कि मौद्रिक नीति में नरम रुख अपनाने, कॉरपोरेट कर घटाने, कॉरपोरेट और पर्यावरण से जुड़ी नियामकीय अनिश्चिताओं को दूर करने के हालिया कदम और ग्रामीण मांग बढ़ाने के सरकारी कार्यक्रमों से वृद्धि को समर्थन मिलेगा और इसका असर कुछ समय बाद दिखाई देगा।