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एयरटेल को बीबीबी माइनस की रेटिंग

बहुराष्ट्रीय रेटिंग कंपनी फिच ने किया संशोधन

भारतीय टेलिकॉम उद्योग का वित्तीय संकट बीते वर्ष प्रमुखता से अख़बारों की सुर्ख़ियों में शामिल रहा था|परिचालन घाटा और बड़ी देनदारियों ने देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं|दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारती एयरटेल पर सरकार का पुराना सांविधिक बकाया 43,000 करोड़ रुपए है|इसके अलावा बीती तिमाही में भारती एयरटेल ने 23,045 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाया है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में एजीआर भुगतान में कोई राहत नहीं दी है|ऐसे में एयरटेल की आगे की राह आसान नहीं है|इन्ही मुश्किलों को ध्यान में रखकर रेटिंग कंपनी फिच ने एयरटेल को बीबीबी माइनस की रेटिंग दी है|

माँगी थी FDI की मंजूरी:

काबिलेगौर है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार एयरटेल को एजीआर के मद में सरकार को कुल 43,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है|इन्ही देनदारियों के कारण एयरटेल ने विगत वर्ष विभिन्न सेवा दरों को बढाया था|इन्ही परिस्थितियों को ध्यान में रखकर airtel ने सरकार से सिंगापुर के सिंगटेल और कई अन्य विदेशी कंपनियों से आने वाले 4,900 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सरकार से इजाजत भी  मांगी थी|

क्या कहती है रिपोर्ट?

अमेरिकी बहुराष्ट्रीय रेटिंग कंपनी फिच ने दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के प्रस्तावित अमेरिकी डॉलर सीनियर अनसिक्योर्ड कन्वर्टिबल नोट्स को ‘बीबीबी माइनस’ रेटिंग दी है। फिच के अनुसार नोट्स को उसी स्तर पर रेट किया गया है, जैसा कि भारती की फॉरेन-करेंसी सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग ऑफ ‘बीबीबी माइनस’ है और इसे रेटिंग वॉच नेगेटिव (आरडब्ल्यूएन) पर भी रखा गया है। फिच ने अपने शोध में यह भी पाया कि सेवा दरें बढाने के बावजूद वित्त वर्ष 2019-20 में भारती का फ्री कैश फ्लो (एफसीएफ) नकारात्मक बना रहेगा।विदित हो कि एयरटेल ने फॉरेन करेंसी कनवर्टेबल बॉन्ड (एफसीसीबी) के जरिए एक अरब डॉलर जुटाने की योजना की घोषणा की है। इसके अलावा दो अरब डॉलर क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट, पब्लिक इश्यू व प्रिफरेंशियल शेयरों या निजी प्लेसमेंट से जुटाने की योजना है।फिच ने भारती की रेटिग को 30 अक्टूबर, 2019 को आरडब्ल्यूएन पर रखा। फिच ने ऐसा सुप्रीम कोर्ट के देश की दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ एजीआर को लेकर दिए गए फैसले के बाद किया। अभी भारती एयरटेल को सरकार को भारी बकाया चुकाना है।