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निजी निवेश से बनेंगे 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था : रजनीश

फिक्की अध्यक्ष ने सरकारी निवेश की जरूरत बतायी

5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य,हम निश्चित रूप से हासिल कर लेंगे| इसमें कोई शक नहीं है। हालांकि कब, इसे लेकर मैं सुनिश्चित नहीं हूं। क्या हम इसे 5 साल में हासिल कर लेंगे, यह बेहद मुश्किल सवाल है। लेकिन हम निश्चित तौर पर 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेंगे|मैं यह फिर से दोहराना चाहूँगा कि ऐसा निजी निवेश में तेजी आने से ही होगा।ये बातें भारतीय स्टेट बैंक(SBI) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहीं|उन्होंने रविवार को ये फिक्की द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में ये उद्गार व्यक्त किये|वे भारतीय अर्थव्यवस्था सम्बंधित प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे|

भारत 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बन सकता है:

काबिलेगौर है कि मोदी सरकार ने भारत को 2024-25 तक 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न मंचों से इस सन्दर्भ में अपने विचार रख चुके हैं| इस सन्दर्भ में पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर देते हुए,भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि भारत 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है| यह लक्ष्य कब हासिल होगा इसके जवाब में कुमार ने कहा इसकी समय सीमा बताना मुश्किल है।इसी तरह  2024-25 तक ये लक्ष्य हासिल होने के प्रश्न पर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।

निजी निवेश पर दिया जोर:

फिक्की द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कुमार ने निजी निवेश पर जोर दिया| उन्होंने कहा कि कि इस लक्ष्य को पाने के लिए बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है। सिर्फ सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है। बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके।

फिक्की अध्यक्ष ने सरकारी निवेश की जरूरत बतायी:

इस कार्यक्रम में फिक्की कि अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने भी विचार प्रस्तुत किये|संगीता ने सरकारी निवेश पर जोर देते हुए कहा कि,अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और ऐसे में धारणा सुधारने के लिए सरकार को एक-दो लाख करोड़ रुपए बाजार में डालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को अकेले सरकारी या अकेले निजी निवेश के दम पर नहीं हासिल किया जा सकता है। इसे हासिल करने के लिए दोनों को एकसाथ हाथ मिलाने की जरूरत है।विभिन्न उद्योगों का पक्ष रखते हुए संगीता ने कहा कि,उद्योगों का मानना है कि निर्माण और ढांचागत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कम से कम एक लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था में लगाने की जरूरत है। राजकोषीय घाटे पर इसका क्या असर होगा इस बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।