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चाय उद्योग की चिंताए बढ़ी, सरकार बागान श्रम कानून रद्द करने के पक्ष में

सरकार बागान श्रम कानून (पीएलए) 1951 को निरस्त कर सकती है ।

जब से सरकार ने बागान श्रम कानून को रद्द करने का मन बनाया है चाय उद्योग की चिंताएं बढ़ गयी है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रमुख अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा कि केंद्र सरकार बागान श्रम कानून (पीएलए) 1951 को निरस्त करने जा रही है।

नवभारत टाइम्स  के अनुसार प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने शुक्रवार को टाटा स्टील कोलकाता साहित्य सम्मेलन में कहा, ‘‘सरकार बागान श्रम कानून को रद्द करने के अलावा मजदूरी पर एक नया कानून लाने जा रही है।’’

क्या है बागान श्रम कानून

यह कानून बागान श्रमिकों को आवास और पेयजल जैसे गैर-नकदी लाभ प्रदान करना अनिवार्य बनाता है। अधिनियम में मजदूरी के अलावा श्रमिकों को पेयजल, आवास, चिकित्सा, शिक्षा और शौचालय की सुविधा प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है। भारतीय चाय संघ (आईटीए) के महासचिव अरिजीत राहा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि आईटीए देश के बागान क्षेत्र का सर्वोच्च निकाय है।

बागान उद्योग की मांग थी कि श्रमिकों को मजदूरी के अलावा अन्य कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करने के लिए नियोक्ताओं का दायित्व या तो पूरी तरह से सरकार ले ले या गैर-नकद लाभ के लिए एक उचित मूल्य दिया जाए और इसे मजदूरी का एक हिस्सा माना जाए। विदित हो कि बागान क्षेत्र में चाय, रबड़ और कॉफी उद्योग शामिल हैं।

चिंतित बागान उद्योग

आईटीए के महासचिव अरिजीत राहा ने कहा कि बागान उद्योग में पारिश्रमिक संहिता-2019 के बारे में चिंता है क्योंकि इसमें गैर-नकद लाभ को मजदूरी की परिभाषा के तहत रखा गया है जो कुल मजदूरी का अधिकतम 15 प्रतिशत तक सीमित है। राहा ने कहा, ‘‘प्रभावी रूप से, कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करने के हमारे दायित्व विधेयक में नहीं बदले गये हैं।’’

नया श्रम कानून

अर्थशास्त्री  देबरॉय ने कहा कि केंद्र सरकार ने बाकी कानूनों के साथ-साथ 1948 के न्यूनतम वेतन अधिनियम के स्थान पर नये श्रम कानूनों को भी लाया है। केंद्र ने पहले ही संसद में व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति कानून पर एक विधेयक पेश किया है जिसके एक अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘‘बागान क्षेत्र के प्रत्येक नियोक्ता पर अपने स्वयं के संसाधनों के जरिये अथवा केंद्र अथवा राज्य सरकार अथवा बागान वाले क्षेत्र के पंचायत द्वारा प्रायोजित इस उद्देश्य के लिए बनी योजनाओं के जरिये श्रमिकों को पेयजल, आवास, चिकित्सा, शिक्षा और शौचालय से संबंधित कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करने और उसे कायम रखने की जिम्मेदारी होगी।’’

ज्ञात हो कि चाय बोर्ड के उपाध्यक्ष अरुण कुमार रे ने कहा, ‘‘मौजूदा कानून में संशोधन किया जा रहा है और अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।