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जानीये आयकर से जुड़े सवालों के जवाब?

आयकर का भुगतान हर भारतीय नागरिक का महत्वपूर्ण दायित्व है

आयकर का सही भुगतान हर भारतीय नागरिक का महत्वपूर्ण दायित्व है| आयकर भुगतान से वो राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सकता है|आय कर के सही भुगतान न होने की स्थिति में कई बार लोग आयकर से संबंधित कानूनी कार्रवाई के दायरे में भी आ जाते है|ऐसा कई बार लापरवाही से तो कई बार सही जानकारी के अभाव में भी होता है|आज हम आपको आयकर से संबंधित 5 महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देंगे|

आयकर रिटर्न दाखिल करने से क्या लाभ है?

विवरणी दाखिल करना आपका संवैधानिक कर्तव्य है और आप के द्वारा राष्ट्र के विकास में सजग योगदान के लिए गरिमा का विषय है। इसके अलावा, आपकी आयकर विवरणी वित्तीय संस्थानों के समक्ष आपकी ऋण पात्रता को मान्यता प्रदान करती है और आपको बैंक क्रेडिट आदि, के रूप में कई वित्तीय लाभ का उपयोग करना संभव बनाती है।​​

ऑनलाइन कैसे जमा करें आयकर का रिटर्न?

आयकर विभाग ने www.incometaxindiaefiling.gov.in एक अलग पोर्टल बनाया है,करदाता इस  पर जा कर विवरणी​ की ई फाइलिंग कर सकते हैं।​ आयकर विभाग ने मुफ्त ई-फाइलिंग प्रस्तुत करने के लिए तथा इलेक्ट्रानिक रुप में विवरणी भरने के लिए मुफ्त यूटिलिटी प्रदान की है(जैसे सॉफ्टवेयर)।विभाग द्वारा प्रस्तुत की गयी यूटिलिटी बहुत आसान है।उपयोग में आसान तथा इसे इस्तेमान करने के लिए दिशा निर्देश भी है।ई फाइलिंग की यूटिलिटी के इस्तेमाल से, कर दाता अपनी विवरणी​ को आसानी से भर सकते है। यूटिलिटी को www.incometaxindiaefiling.gov.in से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।​

आयकर रिटर्न दाखिल न करने से नुकसान?

आयकर रिटर्न दाखिल न करना न केवल अनैतिक है बल्कि आयकर के अनुसार दंडयोग्य कार्य भी है|कर योग्य आय होने के बावजूद आप अपनी विवरणी दाखिल नहीं करते हैं तो आप आयकर अधिनियम के तहत दंड व अभियोजन प्रावधानों के लिए उत्तरदायी होगें।​

सकारात्मक आय न होने की दशा में रिटर्न आवश्यक है?

यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपको नुकसान होता है, जिसे आप अगले वर्षों की सकारात्मक आय के विरूद्ध समायोजित करने के लिए अगले वर्ष के लिए आगे ले जाना चाहते हैं, तो आपको नियत तारीख से पहले अपनी विवरणी दाखिल करने के द्वारा नुकसान का दावा करना चाहिए।​

क्या अंतिम तिथि तक आयकर रिटर्न फाईल न करना दंडनीय है?

जी हां, यदि आपने नियत तिथि के भीतर विवरणी प्रस्तुत नहीं की है, तो आप को बकाया कर पर ब्याज का भुगतान करना होगा। यदि विवरणी निर्धारण वर्ष की समाप्ति तक दायर नहीं की जाती है, तो ब्याज के अलावा, धारा 271(च)​ के तहत 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।​