कोरोना वायरस कर देगा 2.5 करोड़ लोगों को बेरोजगार
कोरोना की महामारी 2.5 करोड़ लोगों का रोजगार छीन लेगी।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर में कोरोना की महामारी 2.5 करोड़ लोगों का रोजगार छीन लेगी। यह पहले से जारी वैश्विक आर्थिक संकट में कोढ़ में खाज की तरह साबित होगी। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.6 लाख करोड़ डॉलर का झटका लगेगा। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इससे आर्थिक और श्रम संकट गहराएगा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी एक अध्ययन में कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक समन्वित नीति बनती है तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चीन में जनवरी-फरवरी माह में 50 लाख लोगों ने कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभाव के चलते नौकरी गंवा दी।
वुहान, शंघाई समेत तमाम शहरों में कामबंदी और व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाने से यह नुकसान हुआ। चीन में बेरोजगारी दर भी जनवरी में 5.3 फीसदी के मुकाबले फरवरी में 6.2 फीसदी हो गई है। इसका असर चीन की विकास दर पर भी दिख सकता है। हालांकि राहत की बात है कि मार्च की शुरुआत से चीन के 60 फीसदी लघु मझोले उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है।
निर्यात हुआ बंद
कोरोना वायरस संकट का असर देश के निर्यात क्षेत्र पर साफ दिखने लगा है। निर्यात संगठनों के संघ ‘फियो’ के मुताबिक, इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय खरीदार निर्यात ऑर्डरों की डिलिवरी रोकने के लिए कह रहे हैं। फियो को अंदेशा है कि आने वाले दिनों में और खरीदार निर्यात ऑर्डरों की आपूर्ति रोकने के लिए कहेंगे और बाद में यह ऑर्डर रद्द भी हो सकते हैं।
भारतीय अर्थव्यस्था पर पड़ा असर
संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस का अभी तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ा है, लेकिन निर्यात क्षेत्र को आहट महसूस होने लगी है। कई खरीदारों ने अगले निर्देश तक निर्यात ऑर्डरों की डिलिवरी रोकने के लिए कहा है। ऐसे में हमारा अनुमान है कि आने वाले दिनों में ऐसे निर्देशों की संख्या बढ़ेगी और बाद में ये ऑर्डर कभी भी मंगाए ही नहीं जाएंगे।
फियो ने इस बारे में सरकार से दखल की मांग की है। उनकी मांग है कि सरकार को बैंकों से निर्यात कंपनियों के ऋण को फंसा कर्ज घोषित करने की अवधि को बढ़ाकर एक साल करने के लिए कहना चाहिए। कारोबार कम रहने की वजह से कई निर्यातकों की लागत प्रभावित होगी और उनके द्वारा लिया गया ऋण फंसा कर्ज बन सकता है।