Arthgyani
होम > न्यूज > New Education Policy 2020 Update

India New Education Policy 2020: पूर्व MHRD मिनिस्टर शशि थरूर ने NEP 2020 का किया स्वागत, Education Sector में गिरती GDP दर पर सरकार का खींचा ध्यान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व MHRD Minister Shashi Tharoor ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का स्वागत करते हुए वर्तमान MHRD मिनिस्टर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से सवाल किया कि लागू करने से पहले नीति को Parliament में पेश क्यों नहीं किया गया?

Covid-19 जैसी वैश्विक महामारी के दौरान मोदी सरकार की कैबिनेट ने 35 साल पुरानी एजुकेशन policy को बदल कर नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत देश में शिक्षा का नया आयाम लाने की कोशिश की है। देश के उच्च शिक्षा सचिव (Secratery of Higher Education) अमित खरे ने 29 जुलाई को मीडिया को बताया कि New Education Policy के तहत सरकार दुनिया भर के बेस्ट इंस्टीट्यूशन्स को भारत में अपने कैंपस खोलने का अवसर देगी।

PM Modi की अध्यक्षता में 34 साल पुराना Education Policy को बदला गया

देश में 1986 से लागू शिक्षा नीति को बदल नई शिक्षा नीति आ जाने से एक ओर जहां विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए INDIA में अपने कैंपस खोलना आसान हो जाएगा साथ ही देश की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को भी मदद मिलने की संभावना है। PM Narendra Modi की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति की घोषणा के तहत यह फैसला लिया गया है।

कमेटी का तर्क: छात्रों के दूसरे देशों में जा कर पढ़ने से देश के GDP में आती है कमी:

बताया जाता है कि सरकार के इस फैसले के पीछे यह तथ्य भी काम कर रहा है कि हर साल साढ़े सात लाख छात्र विदेश पढ़ने जाते हैं। ऐसा करने के लिए वह विदेश में अरबों डॉलर की मोटी रकम खर्च करते हैं। जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में भारी कमी होती है।

New Education Policy 2020 को पहले संसद में पेश करना चाहिए था: शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व MHRD मिनिस्टर शशि थरूर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का स्वागत करते हुए वर्तमान MHRD मिनिस्टर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से सवाल किया कि लागू करने से पहले, “नीति को Parliament में पेश क्यों नहीं किया गया”। उन्होंने Tweeter पर लगातार Tweets में कहा कि BJP सरकार ने NEP के माध्यम से एजुकेशन सेक्टर में अन-रियलिस्टिक लक्ष्यों का चयन किया है। शिक्षा क्षेत्र में अवास्तविक लक्ष्यों को चुना है।

इसके बाद अगले ट्वीट में उन्होंने कहा कि “सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आकांक्षा कार्यान्वयन से मेल खाती भी है। मैंने एमएचआरडी में रहते हुए ही 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 21 वीं सदी के अनुरूप ढालने की बात की है। मुझे खुशी है कि मोदी सरकार ने आखिरकार इस पॉइंट को पकड़ा, भले ही ऐसा करने में उन्हें छह साल लग गए हों। थरूर ने कहा कि चुनौती यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आकांक्षा Implementation से मेल खाती है।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए उदाहरण के लिए उन्होंने आगे लिखा ‘शिक्षा पर खर्च किए जाने वाले सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का 6% का लक्ष्य पहली बार 1948 में जताया गया था। प्रत्येक सरकार इस लक्ष्य को पूरा करती है और फिर अपने वित्त मंत्रालय के खिलाफ आती है। पिछले 6 वर्षों में, शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार का खर्च में गिरावट आई है। ऐसी स्थिति में यह 6% तक कैसे पहुंचेगा?”

शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के खर्चों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हायर एजुकेशन में 50% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio) और Secondary School में 100% के लक्ष्य तारीफ के लायक है, लेकिन जब यह अनुपात वर्तमान में 25.8% Higher Education में और 68% कक्षा 9 के लिए है, हमें समझना चाहिए कि क्या ऐसे लक्ष्य पेरिस में सरकार की सोलर-एनर्जी संबन्धी प्रतिबद्धताओं (Solar Energy Commitments) की तुलना में अधिक जमीनी हैं?”

Research & Innovation सेक्टर में कुल निवेश 2008 के 0.84% से घट कर 0.6% (2018): Tharoor

थरूर ने New Education Policy 2020 पर अपने आखिरी ट्वीट में जोर देते हुए कहा

नई शिक्षा नीति (एनईपी) को रिसर्च सेक्टर के लिए अधिक ठोस और वास्तविक लक्ष्य पेश करने चाहिए थे, और भारत में Research and Innovation पर कुल निवेश 2008 में जीडीपी के 0.84% ​​से घटकर 2018 में 0.6% हो गया।

वर्तमान में चीन में 1,00,000 जनसंख्या में 111 रिसर्चर्स है, जो भारत से कहीं अधिक है। देश में प्रति लाख जनसंख्या में महज15 शोधकर्ता हैं|

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई को भारत की पहली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को कम-से-कम 28 वर्षों में पारित कर दिया। जिसमें प्राइमरी एजुकेशन के लिए हिंदी या स्थानीय भाषा की सिफारिश की गई है। जिससे विदेशी यूनिवर्सिटी को देश में कैंपस की शुरुआत करने में आसानी हो। इसमें यह ध्यान रखा गया है कि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के संभावित प्रवेश की सुविधा हो तथा एक ही उच्च शिक्षा नियामक (Single Higher Education Regulator) हो और बोर्ड परीक्षाएं आसान हो सकें।

इन व्यापक सुधारों का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक समकालीन और skill-oriented बनाना है। NEP के बाद अब MHRD (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) भी कर दिया गया है।