Black money को व्हाइट करने के मामले में भारत 135 देशों में तीसरे स्थान पर
इस रैंकिंग में पहले स्थान पर चीन, जबकि दुसरे स्थान पर मैक्सिको काबिज है
जब वर्तमान सरकार 2014 में पहली बार चुनाव प्रचार कर रही थी तब काला धन एक बहुत बड़ा मुद्दा बना था| तब के चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री समेत सभी सत्ताधारी नेताओं ने काले धन को सिस्टम में वापस लाने के बारे कई तरह के वादे किए थे| इसी प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का कदम भी उठाया था| मगर लगता है कि तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार अपने प्रयास में सफल नहीं हुई है| कम से कम अमेरिकी शोध संस्थान ग्लोबल फाइनैंशल इंटिग्रिटी (GFI) की रिपोर्ट देख कर तो यही लगता है|
लिस्ट में चीन सबसे टॉप पर
ज्ञात हो कि GFI की कल मंगलवार को जारी रिपोर्ट में भारत को उन देशों की लिस्ट में तीसरा स्थान दिया गया है, जहां पर व्यापार के माध्यम से सबसे ज्यादा मात्रा में ब्लैक मनी को वाइट किया जाता है| ज्ञात हो कि GFI द्वारा जारी 135 देशों की इस लिस्ट में भारत का स्थान मात्र दो देशों से नीचे है| इस रैंकिंग में पहले स्थान पर चीन, जबकि दुसरे स्थान पर मैक्सिको काबिज है| वहीं भारत से नीचे दो स्थानों पर रूस और पोलैंड चौथे और पांचवे रैंक पर हैं|
भारत में 83.5 अरब डॉलर की टैक्स चोरी
GFI ने भारत के संदर्भ में आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया है कि भारत में अवैध गतिविधियों के माध्यम से व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग करके लगभग 83.5 अरब डॉलर की टैक्स चोरी कर ली जाती है, जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत भारी पड़ता है|
2008 से 2017 के आंकड़ों का किया इस्तेमाल
GFI की इस रिपोर्ट को बनाने में जिन चीजों को चिन्हित किया गया है वे हैं- अवैध तरीके से धन के प्रवाह व कमाई, मनी ट्रान्सफर और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के माध्यम से धन का स्थानान्तरण और ब्लैक मनी को वाइट व्यापार में निवेश| साथ ही ड्रग का अवैध कारोबार, करप्सन के लिए लेनदेन और टैक्स चोरी के लिए चोरी छुपे तरीके के इस्तेमाल के आंकड़ों को भी इस लिस्ट को बनाने में इस्तेमाल किया गया है| GFI ने इस लिस्ट को बनाने के लिए सभी देशों के साल 2008 से 2017 के बीच हुए आर्थिक प्रवाह के आंकड़ों की गणना को माध्यम बनाया है|
बजट 2020 में सरकार ने उठाए हैं कदम
विदित हो कि भारत सरकार ने इस बार के बजट 2020-21 में पैसे को सिस्टम की जानकारी में लाने के लिए कई कदम उठाने का निर्णय लिया है| उदहारण के लिए NGOs को अब अपने आय के श्रोत के लिए आयकर विभाग को ITR फाइल करना अनिवार्य कर दिया है, हालांकि अभी भी NGOs के लिए टैक्स भुगतान से छुट जारी रखी गई है| ऐसे ही कई कदम उठाए गए हैं, जिससे उम्मीद है कि आगामी वर्षों में भारत की इस स्थिति में सुधार हो|