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चीनी मीलों पर किसानो के गन्ने का पैसा बकाया 2,400 करोड़ रूपये

2018-19 में मीलों ने किसानो को 84,700 रूपये अदा किये थे।

चीनी मीलों ने पिछले 2 सत्रों से किसानो के गन्ने की फसल के पैसे लटका के रखे हैं। जिसके चलते किसानो को दिक्कतों का सामना करना पद रहा है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया की ऐसा इसलिए हो रहा है 2017-18 और 2018-19 इन दो सत्रों में चीनी की कीमतों में बहुत ज्यादा कमी आई है जिसके चलते मिल किसानो का पैसा चुकाने में देरी कर रहा है। उन्होंने बताया की किसानी का लगभग 2,400 करोड़ रूपये बकाया है। मिल कोशिश कर रहे हैं जल्द से जल्द किसानो का पैसा चूका दिया जाए।

चीनी की कीमतों में कमी आने से चीनी मिल नकदी से जूझ रहे है। जिसके कारण किसानो का पैसा लौटने में विलंभ हो रहा है। चीनी मिल ने किसानो को गन्ने की पेमेंट कर दी थी। 2018-19 में मीलों ने किसानो को 84,700 रूपये अदा किये थे। और 2017-18 के सत्र में 84,900 रूपये किसानो के गन्ने की पेमेंट की थी। इन सब के बाद भी 2018-19 के सत्र की किसानों की गन्ने की पेमेंट 2,300 करोड़ रूपये बकाया है और 2017-18 के सत्र की 100 करोड़ रूपये की पेमेंट बाकी है। जिसको मिल बहुत जल्द किसानो को ये पेमेंट कर देगा।

गन्ने की पेमेंट लेट होने पर मिल को देना पड़ता है 15 प्रतिशत तक ब्याज 

सरकार ने गन्ना मीलों की स्थिति सुधारने के लिए बहुत कदम उठायें हैं। जिसके चलते मिल जल्द से जल्द इस मुसीबत पर पार पा जायेंगे। किसानों के गन्ने के पैसे बहुत जल्द दे दिए जायेंगे। किसानो को बहुत जल्द रहत मिलेगी गन्ने की पेमेंट को लेकर।
अधिकारी ने बताया की गन्ना मीलों को फरवरी 2020 तक पिछला बकाया चुकाना होगा 87,000  करोड़ रूपये का है।
सरकार ने अभी तक मीलों की सहयता के लिए अलग अलग योजनाओं के तहत चीनी मीलों को 1,574 करोड़ रूपये की मदद दे चुकी है। सन 1966 के तहत गन्ना मीलों को किसानो के गन्ने की पेमेंट 14 दिन के अन्दर करनी होती है। अगर मिल ऐसा नहीं कर पाता है तो मिल को लेट पेमेंट करने पर 15 प्रतिशत की सालाना डॉ के ब्याज के हिसाब से पेमेंट करना पड़ता है