Arthgyani
होम > न्यूज > अगले साल महंगाई में आएगी कमी- इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च

अगले साल महंगाई में आएगी कमी- इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च

फिच की रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च’ ने साल 2020-21 के लिए भारतीय GDP अनुमान को 5.5% रहने का अनुमान जताया है

फिच समूह की इस रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च’ ने इस वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ग्रोथ सिर्फ 5.5% होने का अनुमान लगाया है| हालांकि यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के 4.8 और भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 5 फीसदी के अनुमान से काफी ज्यादा है|

फिच समूह की इस रेटिंग एजेंसी का कहना है कि कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारक निकट भविष्य में दूर होते नहीं दिख रहे और सरकार को बजट में इस प्रकार निवेश करना चाहिये जिससे रोजगार सृजन हो तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़े|

नीतिगत स्तर पर बड़े कदम उठाने की जरूरत

पीटीआई की खबर के अनुसार इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च ने भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारण बताए हैं| इनमें बैंकों के ऋण उठाव में सुस्ती और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण उठान में अचानक तेज गिरावट, आम लोगों की आमदनी और उनकी बचत में कमी आना तथा फंसी हुई पूंजी से जुड़े विवादों के जल्द निपटारे में समाधान और न्याय प्रणाली की विफलता प्रमुख हैं| एजेंसी का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए नीतिगत स्तर पर बड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि घरेलू मांग बढ़े और अर्थव्यवस्था ऊंची विकास दर के रास्ते पर दुबारा लौट सके|

बजट से काफी उम्मीदें

एजेंसी के मुताबिक सरकार ने आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए पिछले कुछ समय में कई उपायों की घोषणा की है, लेकिन उनके फायदे मध्यम अवधि में ही सामने आयेंगे| इसलिए एक फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं| उसने कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व में गिरावट की आशंका जताते हुये कहा कि इससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है| रिजर्व बैंक से प्राप्त अधिशेष राशि को जोड़ने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 3.6 प्रतिशत पर पहुंच सकता है| बजट में इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था|

सुझाव- लोगों के पास ज्यादा पैसा पहुंचे

इंडिया रेटिंग्स का का मानना है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष का बजट इस प्रकार तैयार करना चाहिये जिससे व्यय को तर्कसंगत बनाया जा सके और प्राथमिकता के आधार पर आवंटन किया जाए| आवंटन तय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि इससे प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हो और समाज के निचले स्तर  पर रह रहे लोगों के पास ज्यादा पैसा पहुंचे| इससे उपभोग मांग बढ़ेगी| प्रेस विज्ञप्ति में ग्रामीण बुनियादी ढांचों, सड़क निर्माण, किफायती आवास और मनरेगा को प्राथमिकता देने की सलाह दी गयी है|

अगले साल कम होगी मंहगाई

एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के 3.9 प्रतिशत पर और थोक महंगाई के 1.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान व्यक्त किया है| चालू वित्त वर्ष में औसत खुदरा महंगाई 4.4  प्रतिशत और थोक महंगाई 1.4 प्रतिशत रहने की संभावना है| उसने कहा है कि खुदरा महंगाई – विशेषकर खाद्य खुदरा महंगाई – के ऊंचे स्तर के कारण नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की फिलहाल उम्मीद नहीं है|