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जानीये क्या है टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड स्कीम ?

ये इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम योजना है

म्युचुअल फंड निवेश का सबसे विविधता पूर्ण माध्यम है|ये विविधता निवेश के तरीकों से लेकर वित्तीय लक्ष्यों तक नजर आती है|निवेश को लेकर प्रायः हर निवेशक का नजरिया भिन्न होता है|उच्च प्रतिलाभ,भविष्य की योजनाओं के साथ ही साथ बहुत से निवेशक टैक्स में बचत के लक्ष्य को ध्यान में रखकर भी करते हैं निवेश|ऐसे म्युचुअल फंड जो टैक्स में बचत का विकल्प प्रदान करते हैं,बहुत से निवेशकों कि वरीयता में शामिल होते हैं| लोगों को टैक्स सेविंग के इस ऑप्शन के बारे में सटीक जानकारी थोड़ी मुश्किल से मिल पाती है|आज जानते टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड के बारे में|

टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड क्या है?

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी एक तरह का म्यूचुअल फंड ही है|जिसका लक्ष्य होता है निवेशक को टैक्स में छूट दिलाना|इन्हें चर्चित रूप में  Equity Linked Saving Scheme या ELSS भी कहते हैं|देश में बहुत सी कंपनियां इस श्रेणी की म्युचुअल फंड योजनाएं चला रही हैं|सामान्यतः म्यूचुअल फंड में निवेशका का पैसा सरकारी बॉन्ड, कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर बाज़ार या सोने में निवेश किया जाता है|ये म्यूचुअल फंड, फंड मैनेजर द्वारा नियंत्रित होते हैं|अर्थात फंड मैनेजर एकत्र राशि के निवेश का निर्णय लेता है| Tax Saving Mutual Fund भी इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं|शेयर्स में निवेश की वजह से Tax Deduction का फायदा मिलता है|

टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड से लाभ

टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड, निवेशकों के लिए सबसे अच्छा टैक्स-सेविंग विकल्प साबित हुए हैं।पारम्परिक रूप से  टैक्स-सेविंग के कई विकल्प हैं|नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)इत्यादि कुछ प्रचलित उदाहरण हैं|इनके बीच भी इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) सबसे पसंदीदा टैक्स-सेविंग विकल्प माने जाते हैं| आइये जानते हैं टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड से होने वाले लाभ|

  1. टैक्स छूट का लाभ: टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा लाभ है Section 80C के तहत मिलने वाली छूट|IT ACT के सेक्शन 80 में उन निवेश और खर्चों का उल्लेख है जिनमें पैसा लगाकर आप टैक्स बचा सकते हैं|इसके नियमों के अनुसार इन स्कीमों में निवेशित पैसा आपकी कर युक्त  से घटा दिया जाता है|
  2.  कम समय तक निवेश की बाध्यता: पारंपरिक टैक्स-सेविंग योजनाओं में सामान्य रूप से दीर्घावधि का लॉक-इन समय     होता है। पीपीएफ में 15 साल तो कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए व्यक्तियों को रिटायरमेंट तक निवेश करने की आवश्यकता होती है।इस प्रकार देखें तो टैक्स-सेविंग म्युचुअल फंड  में सिर्फ तीन वर्ष की न्यूनतम लॉक-इन अवधि होती है।तीन वर्ष बाद निवेशक अपना निवेश जारी रख सकता है यदि चाहे तो अपनी निवेश की गई राशि को लॉक-इन अवधि के बाद निकासी भी कर सकता है|
  3.  निवेश निकासी पर कोई टैक्स नहीं: टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में  निवेशित रकम के बढ़ने पर बढ़ी हुई रकम पर टैक्स नहीं लगाया जाता|इसलिए मैच्योरिटी की रकम का आवश्यकतानुसार इस्तेमाल कर सकते हैं|इस स्कीम में मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता है|जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में पैसा लगाया होता तो ब्याज की रकम पर भी टैक्स लग जाता है|
  4. आसान निवेश का विकल्प : टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड योजनाओं में एसआईपी के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है|बता दें sip हर महीने में एक छोटी निवेश राशि से निवेश कि सुविधा देता है|
  5. ज्यादा रिटर्न: टैक्स-सेविंग निवेश फंड्स मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।बता दें  इक्विटी मौजूदा मुद्रास्फीति दरों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देती है। इस वजह से ईएलएसएस में लंबी अवधि के लिए किया गया निवेश ज्यादा रिटर्न देता है|
  6.  इच्छित निवेश अवधि: ईएलएसएस फंड्स की कोई मैच्योरिटी डेट नहीं होती।निवेशक लॉक-इन अवधि खत्म होने के बाद भी निवेश जारी रख सकते हैं।लंबी अवधि के निवेश से निवेश का गुणात्मक विकास होता है।जितना अधिक अवधि के लिए निवेश जारी रखेंगे  उतना ही अधिक रिटर्न आपको प्राप्त होगा| यदि आप लॉक-इन अवधि के बाद निवेश जारी नहीं रखना चाहते तो आप जब चाहें पालिसी बंद कर सकते हैं।
  7. निवेश की विविधता : टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश से पोर्टफोलियो में विविधता का लाभ मिलता है। टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) मुख्य रूप से इक्विटी बाजार से जुड़ा होने के साथ-साथ यह फंड विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है।

टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) निवेशकों के लिए उपयोगी हैं|निवेशकों को निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, समय और जोखिम उठाने की क्षमता पर विचार अवश्य करना चाहिए|