Arthgyani
होम > न्यूज > SBI ने MCLR में की 10 BPS की कटौती, लोन होंगे सस्ते

SBI ने MCLR में की 10 BPS की कटौती, लोन होंगे सस्ते

RBI के द्वारा रेपो रेट में कटौती न करने के बाद भी SBI ने दिया तोहफा 

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है| SBI ने लगातार आठवीं बार मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में कटौती का एलान किया है| SBI ने एक साल के MCLR में 10 BPS (बेसिक पॉइंट्स) की कटौती की है| जिसके बाद यह दर 8% से कम होकर 7.90 फीसदी हो गई है| नई दरें कल 10 दिसंबर 2019 से लागू हो जाएगी| इससे ग्राहकों को फायदा होगा क्योंकि अब उन्हें सस्ते में लोन मिलेगा।

पिछले महीने भी हुआ था बदलाव

इससे पहले नवंबर माह में भी SBI ने MCLR में बदलाव किया था| तब SBI ने एक साल के MCLR में पांच बीपीएस की कटौती की थी| जिसके बाद यह दर 8.05 फीसदी से कम होकर आठ फीसदी हो गई थी|

ये हैं MCLR की दरों में बदलाव

अवधि             मौजूदा दर               नई दर

24 घंटे            7.65 फीसदी        7.55 फीसदी

एक महीना       7.65 फीसदी        7.55 फीसदी

तीन महीने        7.7 फीसदी           7.6 फीसदी

छह महीने        7.85 फीसदी        7.75 फीसदी

एक साल         8 फीसदी              7.9 फीसदी

दो साल           8.1 फीसदी          8 फीसदी

तीन साल         8.2 फीसदी           8.1 फीसदी

RBI ने इस रेपो रेट में नहीं की थी कोई कटौती

उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कोर कमिटी के हुए तीन दिवसीय मीटिंग के बाद रेपो रेट में किसी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया था| सूत्रों ने इसके पीछे कारण RBI द्वारा रेपो रेट में किए गए कटौती के बाद भी बैंकों द्वारा ग्राहकों को समुचित लाभ न देना है| नई दरें मंगलवार से लागू होंगी| इस कटौती के बाद होम, कार और अन्य MCLR लिंक्ड लोन सस्ते हो जाएंगे| SBI ने अपने बयान में कहा है कि MCLR में कटौती के साथ ही देश में सबसे कम ब्याज पर कर्ज उपलब्ध कराने वाला बैंक बन चुका है| SBI ने कहा कि होम लोन और ऑटो लोन के मार्केट में SBI का 1/4 हिस्से पर कब्जा है|

MCLR में कटौती से कैसे होता है लोन सस्ता

बैंकों के लिए लेंडिंग इंटरेस्‍ट रेट तय करने के फॉर्मूले का नाम मार्जिनल कॉस्‍ट ऑफ फंड लेंडिंग रेट (MCLR) है| दरअसल RBI के द्वारा बैंकों के लिए तय फॉर्मूला फंड की मार्जिनल कॉस्‍ट पर आधारित है| इस फॉर्मूले का उद्देश्य कस्‍टमर को कम इंटरेस्‍ट रेट का फायदा देना और बैकों के लिए इंटरेस्‍ट रेट तय करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है| अप्रैल, 2016 से ही बैंक नए फॉर्मूले के तहत मार्जिनल कॉस्ट से लेंडिंग रेट तय कर रहे हैं| साथ ही बैंकों को हर महीने MCLR में बदलाव की जानकारी देनी होती है| RBI द्वारा जारी इस नियम से बैंकों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाना और इकोनॉमिक ग्रोथ में योगदान देना है| यदि कोई कस्मटर अपने लोन को इस फॉर्मूले के आधार पर शिफ्ट कराता है तो उसे सस्ते कर्ज का लाभ जल्‍द से जल्‍द मिल जाएगा| MCLR को तय करने के लिए 4 फैक्टर को ध्यान में रखा जाता है| इसमें फंड का अतिरिक्त चार्ज, निगेटिव कैरी ऑन CRR, ऑपरेशन कॉस्ट और टेन्योर पिरियड|

अब यह देखना दिलचस्प होगा की SBI द्वारा MCLR में कटौती से अन्य बैंकों द्वारा क्या कदम उठाया जाता है| क्या वे भी इसमें बदलाव कर लोन को सस्ता करने के लिए कोई उपाय करेंगे|