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निवेश और विनिर्माण क्षेत्र ने गति पकड़ी : निर्मला सीतारमण

संसद में करीब 12 घंटे चला विशेष चर्चा सत्र

सरकार ने निजी तथा सरकारी निवेश, उपभोग और निर्यात बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं|चालू वित्त वर्ष में विदेशी निवेश बढ़ा है, विनिर्माण क्षेत्र ने गति पकड़ी है|अर्थव्यवस्था के सात महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं – प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई), औद्योगिक गतिविधियां, विनिर्माण पीएमआई, विदेशी मुद्रा भंडार, जीएसटी संग्रह और शेयर बाजार। ये सभी अर्थव्यवस्था में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं। ये बातें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कही| वे बजट-2020 पर लोकसभा में चर्चा का जवाब दे रही थी| बता दें ये विशेष चर्चा सत्र संसद में करीब 12 घंटे तक चला|

अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत

अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा दो महीने गिरनेके बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में लगातार वृ़द्धि हुई है और शेयर बाजार का ग्राफ ऊपर की तरफ जा रहा है। ये सभी संकेतक अर्थव्यवस्था में सुधार की ओर इशारा कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में देश की अर्थव्यवस्था का आंकड़ा 20 खरब डॉलर था जो 2018-19 में बढ़कर 27 खरब डॉलर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 29 खरब डॉलर की हो गई है और इस रफ्तार से हम 50 खरब डॉलर पर पहुंच जाएंगे।

पेश किये विदेशी निवेश के आंकड़े:

बजट-2020 परिचर्चा सत्र के दौरान वित्त मंत्री ने सदन के पटल पर विदेशी निवेश के आंकड़े भी प्रस्तुत किये|उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के बीच देश में 24.4 अरब डॉलर का शुद्ध एफडीआई आया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 21.2 अरब डॉलर था। इस दौरान एफपीआई निवेश एक साल पहले के 11.7 अरब डॉलर से बढ़कर 12.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सितंबर और अक्टूबर 2019 में ऋणात्मक रहने के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 1.8 प्रतिशत धनात्मक रहा। विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई सूचकांक नवंबर 2019 में 51.2 प्रतिशत, दिसंबर 2019 में 52.7 प्रतिशत और जनवरी 2020 में 55.3 प्रतिशत रहा। इसमें लगातार तेजी का क्रम बना हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2019 में 413 अरब डॉलर था जो 24 जनवरी 2020 को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 466.69 अरब डॉलर पर पहुँच गया।

निवेश बढ़ाने के लिए किये गए उपाय:

सीतारमण ने बताया कि सरकार ने निवेश को प्रोत्साहन देने के कई उपाय किये हैं| जिनमें शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता में सुधार, राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 103 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाओं के लिए पाइपलाइन की घोषणा,कॉपोरेट कर में कटौती, सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष में 60,314 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराना और विलय एवं एकीकरण के जरिए मजबूत बैंक बनाना शामिल है। साथ ही रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के जरिए अर्थव्यवस्था में ज्यादा नकदी उपलब्ध कराने के उपाय किए हैं। सरकार को उम्मीद है उन उपायों के बाद देश में निवेश को प्रोतसाहन मिलेगा |