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सरकार का बड़ा फैसला, पैसेंजर ट्रेनों के बाद अब मालगाड़ियों का होगा निजीकरण

केंद्र सरकार निजी मालगाड़ियों को भी चलाने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

देश की मोदी सरकार ने रेलवे के निजीकरण को लेकर अपनी हरी झंडी दिखाई थी। रेलवे के कुछ चुनिंदा प्लेटफॉर्म निजी हाथों में सौंपने के बाद सरकार ने निजी रेलगाडियों को भी हरी झंडी दिखाई थी। हालांकि, अब खबरें हैं कि इसी आधार पर केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय निजी मालगाड़ियों को भी चलाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। वहीं, महाराष्ट्र टाइम्स में सूत्रों के हवाले से छपी खबर कि मानें तो निजी मालगाड़ियां डेडीकेटेड फ्रेट कॉरी‍डोर यानी DFC पर चलाई जायेंगी। जिससे निजी कंपनियों द्वारा अपने माल ढुलाई की जाएगी।

इतने किलो मीटर में बनेगा डेडीकेटेड फ्रेट कॉरी‍डोर

रिपोर्ट की मानें तो रेल मंत्रालय के मुताबिक देश में करीब 2800 किलोमीटर के डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर के निर्माण की आवश्यकता है। जिसके 2022 तक पूर्ण होने की संभावना व्यक्त की है। जहां, एक तरफ कॉरी‍डोर में अधिकाधिक सामानों के परिवहन करने वाली मालगाड़ियों को चलाने की सरकार की मंशा है। वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार इस कॉरिडोर पर निजी मालगाड़ियों को भी चलाये जाने की योजना बना रही है।

सरकार ने रखा इतना माल लोड करने का लक्ष्य

रेलवे मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें को सरकार माल गाड़ी ट्रेनों की ढुलाई को तेज करना चाहती है, जिससे रेलवे ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सके। वहीं, अधिक आय के साथ रेलवे का लक्ष्य अगले पांच सालों में 200 करोड़ टन माल लोड करने का है। इसलिए केंद्र सरकार इसमें निजी कंपनियों को शामिल करना चाहती है।

उद्योगपति खरीद सकते हैं खुद की मालगाड़ी

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो रेलवे बोर्ड के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक स्टील, लोहा से संबंधित उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए सरकार एक विशेष नीति बना रही है, जिसे जल्द से जल्द लागू किया जाएगा। जिससे कारोबारियों को उनकी खुद की मालगाड़ी खरीदने होने  उन्हें कच्चा माल की ढुलाई सस्ती होने की संभावना होगी।