कोरोना प्रभाव से रूपए का गिरा भाव, महंगाई बढ़ने के आसार
डॉलर-रूपए के इस मूल्य असंतुलन के बढ़ने से भारत के संचित विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नकारात्मक पड़ेगा
कोरोना न सिर्फ चीन की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी चौतरफ़ा मारक साबित हो रहा है| एक ओर जहां कोरोना वायरस के प्रभाव में आकर भारतीय शेयर बाज़ार निरंतर ही ढलान की ओर है, वहीं आज मंगलवार को रुपया 56 पैसे की भारी गिरावट के साथ एक डॉलर के मुकाबले 73.29 रूपए पर आ गया| यह विगत एक वर्ष में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है|
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक
डॉलर के मुकाबले रुपया के भाव में कमी आना भारत जैसी अर्थव्यस्था के लिए बहुत बोझिल बन जाता है| क्योंकि भारत अपने आवश्यकता की पूर्ति के लिए बहुत सी सामग्रियों का आयात विदेशो से करता है| इसमें से सबसे बड़ी मात्र पेट्रोलियम क्रूड ऑइल की होती है| विगत कुछ समय से आए राजनितिक परिवर्तनों की वजह से भारत को ईरान से पेट्रोलियम के आयात को भी सीमित करना पड़ा है, जोकि भारतीय रूपए को एक्सचेंज मुद्रा के तौर पर स्वीकार करता था|
डॉलर के मुकाबले ज्यादा रूपए का करना होगा भुगतान
इस तरह से डॉलर के मुकाबले रूपए के मूल्य में कमी आना भारत के लिए बहुत ही महंगा सौदा पड़ने वाला होता है| क्योंकि भारत अपने आयतित वस्तुओं के लिए भुगतान ज्यादातर डॉलर में ही करता है| इसका मतलब है कि अब डॉलर के लिए भारत को और भी ज्यादा रूपए का भुगतान करना पड़ेगा|
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर बढेगा बोझ
डॉलर-रूपए के इस मूल्य असंतुलन के बढ़ने से भारत के संचित विदेशी मुद्रा भंडार पर भी नकारात्मक पड़ेगा| ज्ञात हो कि अभी हाल ही में बजट 2020-21 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 4 सौ 57 अरब 46 करोड़ 80 लाख डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है|
चीन से प्रारंभ हुए इस कोरोना वायरस से निकट भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था निकलती हुई नहीं दिख रही है| उसपर निरंतर घटते रूपए की कीमत भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बोझिल साबित हो सकती है| RBI को इस दिशा में जल्द ही कुछ समाधान पेश करना चाहिए, नहीं तो यह भारत में न सिर्फ पेट्रोल, डीजल की कीमतों को बढाने वाला साबित होगा, अपितु यह बढती हुई महंगाई में भी तड़का लगा देगा|