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AGR विवाद पर RBI गवर्नर ने आंतरिक चर्चा की बात कही

बैंकों की चिंताओं को देखते हुए RBI चीफ की प्रतिक्रिया

निजी टेलिकॉम कम्पनियों का Agr विवाद इन दिनों सुर्ख़ियों में बना हुआ है|काबिलेगौर है कि बकाया भुगतान न करने के लिए शीर्ष न्यायालय ने Vodafone और Airtel को फटकार लगाई है|इस बीच कई बैंक जिन्होंने वित्तीय संकट से जूझ रही इन टेलीकॉम कंपनियों को कर्ज दिया है,कर्ज के डूब जाने की आशंका से परेशान हैं| बैंकों की चिंताओं को देखते हुए RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहली बार इस पूरे घटनाक्रम पर बयान दिया है|

आंतरिक रूप से विचार किया जाएगा:

Agr विवाद पे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि, यह उच्चतम न्यायालय का आदेश है और शीर्ष न्यायालय के किसी आदेश और इसके नतीजों पर मैं किसी भी तरह की टिप्पणी करना नहीं चाहूंगा। यह शीर्ष न्यायालय का आदेश है। इसके जो भी निहितार्थ आदि हों, उसकी समीक्षा करना रिजर्व बैंक का आंतरिक विषय है। यदि इस (आदेश) से जुड़ा कोई मुद्दा सामने आता है तो उस पर आंतरिक रूप से विचार किया जाएगा।

बैंकों ने जताई थी चिंता:

Agr विवाद के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रमुख रजनीश कुमार ने शुक्रवार को कहा था कि बकाये को चुकाने के लिए दूरसंचार कंपनियों को अब धन का प्रबंधन करना होगा और यह मानना सबसे सुरक्षित होगा कि उन्होंने इसके लिए अब तक कुछ न कुछ इंतजाम कर लिया है। जबकि RBI के गवर्नर ने शनिवार को चिंता जताते हुए कहा कि आने वाले महीनों में ऋण उठाव तेज होने की संभावना है। कंपनियों पर सांविधिक बकाए को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ा कोई मुद्दा उठा तो केंद्रीय बैंक उस पर आंतरिक रूप से चर्चा करेगा।

क्या है मामला?

दरअसल ये पूरा मामला निजी टेलिकॉम कंपनियों Airtel और Vodafone पर बकाया Agr भुगतान से संबंधित है|एयरटेल पर लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में करीब 35,586 करोड़ रुपये बकाया है। जबकि वोडाफोन आइडिया को कुल 53,000 करोड़ रुपये अदा करने हैं, जिनमें से 24,729 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम के बकाया हैं और अन्य 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क के बकाया हैं। आदेश के बाद भी भुगतान न करने पर न्यायाधीश अरुण मिश्रा की पीठ ने दोनों कम्पनियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही थी| न्यायालय की टिप्पणी के तुरंत बाद शुक्रवार को भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को 20 फरवरी तक 10,000 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी जबकि वोडाफोन को अब भी राहत की उम्मीद है| कंपनी ने भुगतान के बाद समीक्षा और कंपनी बंद होने की बात भी कही|