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राजकोषीय घाटे का बड़ा हिस्सा लघु बचत से आएगा- शक्तिकांत दास

अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा कम होगा

अगले साल राजकोषीय घाटे का बड़ा हिस्सा लघु बचत से आएगा|इसमें संदेह का कोई कारण नहीं है|सरकार अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 फीसदी पर लाने में कामयाब होगी| सरकार एफआरबीएम समिति की सिफारिशों के दायरे में है|इसीलिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य से केवल 0.5 फीसदी ही अधिक हुआ| ये बातें RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहीं|

सरकार ने बढाया राजकोषीय घाटे का अनुमान:

काबिलेगौर है कि RBI गवर्नर का बयान ऐसे वक्त में आया है जब सरकार आर्थिक मोर्चे पर आलोचना की शिकार हो रही है| ध्यान रहे कि बजट-2020 में सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ा दिया है| लेकिन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि उन्हें इसके कम होने को लेकर कोई संदेह नहीं है|मालूम हो कि मोदी सरकार लगातार तीसरे साल राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी|चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 फीसदी रहने की आशंका व्यक्त की गयी है|जबकि पूर्व में इसके 3.3 फीसदी रहने की संभावना जताई गई थी|अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है |

एफआरबीएम समिति की सिफारिश:

दरअसल राजकोषीय घाटा सरकार के आय और व्यय के अंतर को बताता है|जिसका अर्थ है कि सरकार उपलब्ध साधन  साधन से अधिक खर्च कर रही है| इसे देखते हुए एन के सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने 2020-21 तक राजकोषीय घाटे को कम कर 2.8 फीसदी, 2022-23 तक 2.5 फीसदी पर लाने की सिफारिश की है|समिति ने छूट उपबंध का भी सुझाव दिया था|जिसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा, युद्ध की स्थिति, राष्ट्रीय आपदा और कृषि के गंभीर रूप से प्रभावित होने के कारण उत्पादन और आय पर असर पड़ने की स्थिति में इस प्रावधान का उपयोग किया जा सकता है|इन परिस्थितियों में  राजकोषीय घाटा लक्ष्य से 0.5 फीसदी तक अधिक रह सकता है|

विदेशों से धन भारत आने जा रहा है:

एक सवाल के जवाब में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2020-21 के बजट में कुछ बांड को बिना किसी सीमा के प्रवासी भारतीयों के निवेश के लिए खोला जायेगा|उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कंपनी बांड की सीमा 9 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी की गयी|इसलिए विदेशों से धन भारत आने जा रहा है|भारतीय कंपनियां भी विदेशी बाजारों (ईसीबी) के जरिये विदेशी स्रोत से काफी धन जुटा रही हैं| दास ने कहा कि कर्ज प्रबंधक के रूप में आरबीआई सुनिश्चित करेगा कि जो उधारी कार्यक्रम है, उसमें कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो|