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कर्ज माफी से किसानों को अगली बार कर्ज मिलने में होती है समस्या- RBI

कर्ज माफ़ी को दर्रा बनाने से होगा रोकना- RBI गवर्नर

किसानों का कर्ज माफ़ी आज एक संस्कृति का रूप लेते जा रहा है| इस संकृति पर RBI (रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया) गवर्नर शक्तिकांत दास ने चिंता व्यक्त की है, और कहा है कि कर्ज माफ़ी से किसानों को ही अगली बार कर्ज मिलने में समस्या का सामना करना पड़ता है|

किसानों का बैंकिंग रिकॉर्ड होता है खराब 

ज्ञात हो कि कर्ज माफ़ी से तत्काल लाभ के तौर पर एक किसान अपने कर्ज के बोझ से तो मुक्त हो जाता हैं, मगर उसी समय यह उनके बैंकिंग रिकॉर्ड को खराब भी कर देता है| इसकी वजह से जब वह अगली बार बैंक के पास कर्ज लेने के लिए जाता हैं तो बैंक किसान की कर्ज वापसी की क्षमता पर शक करते हुए लोन देने में आनाकानी करते हैं| इसलिए किसानों को तात्कालिक लाभ के लिए कर्ज माफ़ी का लाभ लेने से बचना चाहिए, जब तक कि स्थिति बाध्यकारी न हो जाए|

राज्य सरकारों के देरी की वजह से होती है फण्ड की समस्या 

किसानों के कर्ज माफ़ी पर RBI गवर्नर ने राज्यों के रवैये पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि, ‘हम राज्य सरकारों से यह बार-बार कह रहे हैं कि कर्ज माफी वाली राशि तुरंत बैंकों को जारी की जानी चाहिए, क्योंकि जबतक बैंकों को धन वापस नहीं मिलेगा, अगले फसल के लिये कर्ज देने की बैंक की क्षमता प्रभावित होगी|’

ज्ञात हो कि वर्तमान साल में भी बहुत से राज्य सरकारों ने किसानों के कर्जों को माफ़ कर दिया है| अक्सर होता यह है कि राज्य सरकारें किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा तो कर देती हैं मगर कर्ज माफ़ी की रकम संबंधित बैंकों तक पहुचने में काफी समय ले लेती हैं, जिससे बैंकों को अगले फण्ड की कमी हो जाती है|

दर्रा बनने से बचाना होगा  

कर्ज माफ़ी के संदर्भ में आगे बोलते हुए RBI गवर्नर ने कर्ज माफ़ी को एक ढर्रे के तौर पर इस्तेमाल करने पर भी चिंता जताई| विदित हो की किसानों की कर्ज माफ़ी आज के समय में एक राजनितिक मुद्दा बन गया है और बहुत सी राजनितिक पार्टियां किसी राज्य में चुनाव जीतने के लिए किसानों के कर्ज माफ़ी की घोषणा को सत्ता प्राप्त करने का एक माध्यम बनाती हैं| धीरे-धीरे स्थिति यह होते जा रही है कि किसान भी जान बुझ कर अपने कर्ज चुकाने में देरी करने लगे हैं| यह न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था के लिए अपितु किसानों के लिए भी अच्छा नहीं है|