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म्यूचुअल फंड्स में साइड पॉकेटिंग क्या है और क्यों ज़रूरी

म्यूच्यूअल फंड में साइड पॉकेट ऑप्शन है फ़ायदेमंद

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने पर अकसर छोटे निवेशकों पर ये दवाब बना रहता है कि अगर बड़े निवेशक अचानक एग्जिट कर जाएँ तो पोर्टफ़ोलियो और स्कीम की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में अस्थिरता आ जाती है।

इसलिए म्यूच्यूअल फंड  में साइड पॉकेट ऑप्शन फ़ायदेमंद है क्योंकि इसमें बड़े निवेशकों के अचानक एग्जिट करने की स्थिति में फंड पर बनने वाले दबाव से छोटे निवेशकों का बचाव होता है। साइड पॉकेट ऑप्शन फंड हाउस को डेट पोर्टफोलियो में शामिल एसेट्स के क्रेडिट प्रोफ़ाइल से प्रभावित होने वाले निवेश में से बैड ऐसेट्स को दूसरे लिक्विड इनवेस्टमेंट से अलग करने की सुविधा देता है। इससे स्कीम की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में स्थिरता आती है और उसमें बिकवाली कम होती है। कुछ एसेट्स के अचानक इलिक्विड होने की सूरत में साइड पॉकेटिंग से लिक्विड पोर्टफोलियो को सहारा मिलता है।

महत्वपूर्ण बिंदु 

  • म्यूच्यूअल फंड में साइड पॉकेट ऑप्शन से  छोटे निवेशकों का होता है बचाव।
  • साइड पॉकेटिंग में सावधानी बरतने की भी ज़रूरत।
  • मैनेजर्स की फीस बचाने या कमज़ोर लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर पर्दा डालने के लिए इसे ग़लत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • सभी बॉन्ड्स के लिए साइड पॉकेटिंग जरूरी नहीं।

साइड पॉकेटिंग में सावधानी बरतने की भी ज़रूरत होती है। एनालिस्टों के मुताबिक इलिक्विड या डिफॉल्ट एसेट्स का वैल्यूएशन बहुत विवादित होता है, इसलिए इलिक्विड एसेट की NAV पता नहीं की जा सकती। दूसरी बात, निवेशकों के लिए दो तरह की NAV को ट्रैक करना मुश्किल होता है। तीसरी बात, फंड हाउस को ज़्यादा लिक्विड एसेट्स पर मैनेजर्स की फीस बचाने या कमज़ोर परफॉर्मेंस वाले एसेट्स या फंड मैनेजर्स के कमज़ोर लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर पर्दा डालने के लिए साइड पॉकेट का मिसयूज़ नहीं करना चाहिए।

सेबी ने सभी बॉन्ड्स के लिए साइड पॉकेटिंग को जरूरी नहीं बनाया है। यह फैसला एसेट मैनेजमेंट कंपनी और उनके ट्रस्टियों पर छोड़ा गया है। इसलिए जब भी कोई बॉन्ड फिसलकर नॉन इनवेस्टमेंट ग्रेड में आ जाता है, कुछ एसेट मैनेजमेंट कंपनियां उसकी वैल्यू को राइट डाउन करती हैं जबकि कुछ इसके लिए साइड पॉकेटिंग कर देती हैं।

इसके लिए क्या है प्रावधान

एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) को स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्युमेंट (SID) में बदलाव करने और 30 दिन का बिना लोड वाला एग्जिट विंडो देने के लिए साइड पॉकेट बनाने का प्रस्ताव लाना पड़ता है। इवेंट वाले दिन इसकी इजाज़त मिलने के बाद एसेट मैनेजमेंट कंपनी इलिक्विड या डिफॉल्ट कैटेगरी वाली सिक्योरिटीज़ को दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स से अलग करती है। इससे दो स्कीमें बनती हैं- एक में इलिक्विड पेपर्स होते हैं और दूसरे में अच्छी सिक्योरिटीज होती हैं।