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भारतीय आयकर प्रणाली क्या है?

भारत में दो प्रकार के  टैक्स प्रचलित हैं

जिस प्रकार से सूर्य जमींन से नमीं को सोंख कर, इसे कई हजार गुणा करके वापस कर देता है ठीक उसी प्रकार से राजा अपनी प्रजा से करों की वसूली करके, इसे अपनी प्रजा की भलाई पर ही व्‍यय कर देता है “(रघुवंश में कालिदास राजा दलीप से कहते है)कराधान की प्रक्रिया भारत में प्राचीन काल से अस्तित्ववान रही|’कर’ शब्‍द की उत्‍पत्ति ‘कराधान’ से हुई है जिससे तात्‍पर्य आंकलन से है|  मनु स्‍मृति और अर्थशास्‍त्र, जैसे प्राचीन ग्रंथों में अनेक प्रकार के करों के संदर्भ मिलते है।अतः भारतीय परिप्रेक्ष्य में कर आरोपण की प्रक्रिया नयी नहीं है|वसूले गये कर के माध्यम से ही सरकार विभिन्न जनकल्याण के कार्य करती है|

आयकर (Income Tax) क्या है?

इनकम टैक्स (IT) यानी आयकर (Income Tax) हमारी कुल आय /आमदनी पर लगने वाला टैक्स(कर) है|इसके अंतर्गत  हर साल हमें अपनी आमदनी में से एक निर्धारित हिस्सा केंद्र सरकार को देना पड़ता है|अलग अलग आय के अनुसार  इनकम टैक्स (IT) विभाग देय कर की दरें निर्धारित करता है|

कर का उपयोग:

सरकार वसूले गये कर का उपयोग अपने नागरिकों के जीवन संवर्धन में करती है|नागरिकों को दी जाने वाली सेवा इसी कोष से निर्गत धन से की जाती है|इन नागरिक सुविधाओं के लिए सरकार को  काफी रकम खर्च करना पड़ती है| इसमें सड़क, बिजली-पानी से लेकर सुरक्षा और प्रशासन पर आने वाले खर्च शामिल हैं| किसानों और गरीब लोगों को विभिन्न सुविधा पर दी जाने वाली सब्सिडी या मदद आदि भी इन खर्च में शामिल है|

संविधान के अनुसार:

भारतीय संविधान की अनुसूची 7 में केंद्र सरकार को ऐसे लोगों से टैक्स वसूलने का अधिकार दिया गया है, जिनकी आमदनी कृषि के अलावा अन्य स्रोतों से है|भारत  में दो प्रकार के  टैक्स प्रचलित हैं|जिसमे से पहला लोगों की आमदनी में से निर्धारित हिस्सा लेना अर्थात प्रत्यक्ष कर| इनकम टैक्स (IT) या आयकर इसी श्रेणी में आता है| यह टैक्स देश के नागरिकों और संस्थाओं पर किन शर्तों व नियमों के हिसाब से लगेंगे, इनके बारे में इनकम टैक्स (Income Tax) कानून 1961 और इनकम टैक्स (Income Tax) कानून, 1962 में विस्तृत जानकारी दी गयी है|दूसरा कर है जो सेवाओं और वस्तुओं के उपयोग पर लगाया जाता है इसे अप्रत्यक्ष कर कहते हैं|इसे केंद्र सरकार की संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (यानी CBDT) निर्देशित करती है| इनकम टैक्स कानून (ITA) के सेक्शन 10(1) में कृषि आय को इनकम टैक्स या आयकर के दायरे से बाहर रखा गया है| कृषि आय किस आमदनी को माना जायेगा, इसका उल्लेख इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 2(1A) में किया गया है|

किस आय पर लगता है आयकर?

  1. वेतन के रूप में आय – इस  के तहत कर्मचारी को मिलने वाला वेतन, एन्युटी, पेंशन, ग्रेच्युटी, फीस, कमीशन, छुट्टी की जगह नकद भुगतान (लीव एनकैशमेंट), सालाना वृद्धि, प्रोविडेंट फंड में जमा रकम और कर्मचारी के पेंशन खाते में किया गया योगदान शामिल हैं|
  2. मकान किराये से आय – खुद के स्वामित्व वाले मकान के किराए से आमदनी को घरेलू संपत्ति से आय माना जाता है| एक से अधिक मकान होने की स्थिति में अगर मकान खाली है यानी उसमें कोई किराएदार नहीं है तो भी एक मकान को छोड़कर अन्य मकानों की अनुमानित आय आमदनी में जोड़ दी जाती है|
  3.  कारोबार या पेशे से आय – किसी कारोबार या पेशे से होने वाला लाभ, व्यापार के तहत प्राप्त किया ब्याज, साझेदारी के पार्टनर को मिला वेतन या बोनस आदि आते हैं|
  4.  पूंजीगत लाभ के रूप में आय – पूंजीगत लाभ के तहत कोई पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से हुआ लाभ आता हैं| इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के पूंजीगत लाभ शामिल हैं|
  5. अन्य स्रोत से आय – बैंक डिपॉजिट और सिक्योरिटीज पर मिला ब्याज, शेयरों पर मिले लाभांश, रॉयल्टी इनकम, लॉटरी या रेस जीतने और उपहार के रूप में मिली रकम को अन्य स्रोत से आय माना जाता है|

वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए व्यक्तिगत आयकर स्लैब (60 वर्ष तक के व्यक्ति के लिए)

वार्षिक आय आयकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर
        2.5 लाख तक 0 0
2.5 लाख से 5 लाख तक 5% 4%
5 लाख से 10 लाख तक 20% 4%
10 लाख से ऊपर 30% 4%
50 लाख से 1 करोड़ पर सरचार्ज 10%
1 करोड़ रुपये से ऊपर की आय पर सरचार्ज 15%