Arthgyani
होम > न्यूज > अर्थव्यवस्था की गिरावट से रुपया कमजोर 

अर्थव्यवस्था की गिरावट से रुपया कमजोर 

रुपया एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल

विगत एक वर्ष में भारतीय रुपया एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल हो गया है|रूपये की गिरावट के दो प्रमुख कारण है  भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट और बढ़ती मुद्रास्फीति|एशिया कि अन्य मुद्राओं से तुलना करें अब रुपये की हालत सिर्फ पाकिस्तान और दक्षिण कोरिया की मुद्राओं से ही बेहतर है। बता दें जनवरी 2019 से अब तक एक साल में डॉलर के मुकाबले करीब दो फीसदी की गिरावट के साथ ही रुपया एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल हो गया|

10 सालों में आठवीं बार आयी गिरावट:

इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी सर्विसेज के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर सी चोकलिंगम के अनुसार, ‘साल 2019 सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद देश में कैपिटल इनफ्लो बढ़ा है।इससे शेयर बाजारों में भी तेजी देखने को मिली। 2019 में देश के इक्विटी और डेट मार्केट में करीब 2000 करोड़ की विदेशी पूंजी आई है।’ कैपिटल इनफ्लो से रूपये में कमजोरी आयी है| रूपये में गिरावट सिर्फ 2019 में ही नहीं, बल्कि साल 2018 में भी आयी थी। 2018 में  रुपया 8 फीसदी कमजोर हुआ था। वहीं पिछले पांच कैलेंडर वर्ष में से चार में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कम हुई है और पिछले 10 सालों में ऐसा आठ बार हुआ है। बढ़ती मुद्रास्फीती के कारण एक साल में रुपया डॉलर के मुकाबले एशिया की तीसरी सबसे कमजोर करेंसी साबित हुआ है।

गिरावट और बढ़त:

रूपये में गिरावट की तरह बहुत से एशियाई देशों की मुद्राओं में ये गिरावट आयी है| डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया सबसे अधिक यानी 9.5 फीसदी गिरा है| जबकि  दक्षिण कोरिया के वॉन में 4.8 फीसदी की गिरावट आई है| बांग्लादेश के टका में 1.5 फीसदी, चीन के युआन में 0.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। इसके विपरीत डॉलर के मुकाबले थाईलेंड की बाथ करेंसी सबसे अधिक यानी 6.3 फीसदी मजबूत हुई है। मलयेशिया के रिंगिट में 1.5 फीसदी की मजबूती आई है, फिलिपींस के पेसो में तीन फीसदी की बढ़त आई और इंडोनेशिया के रुपिया में 5.3 फीसदी की मजबूती आई है। जबकि वियतनाम के डोंग में डॉलर के मुकाबले बीते एक साल में कोई बदलाव नहीं आया है।