चालू वित्तवर्ष की चौथी तिमाही में 6.5% महंगाई दर : RBI
खाद्य महंगाई थोड़ी ऊंची रह सकती है
कभी प्याज तो कभी खाद्यतेल के रूप में महंगाई का खौफ फिलहाल कम होता नजर नही आ रहा है|हालांकि इसमें थोड़ी राहत मिलने का अनुमान जरूर है| ये अनुमान है भारतीय रिजर्व बैंक का|RBI ने चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में (जनवरी से मार्च) के दौरान खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्तवर्ष की छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में यह पूवार्नुमान जारी किया है।अनुमान के अनुसार आगामी वित्तवर्ष 2020-21 की पहली छमाही में मंहगाई दर 5.4 फीसदी से पांच फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया गया है,जबकि तीसरी तिमाही में 3.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
आने वाले दिनों में आयेगी नरमी:
RBI की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी का अनुमान है कि दिसंबर में महंगाई की जो ऊंची दर दर्ज की गई, उसमें आने वाले दिनों में नरमी आ सकती है और चालू वित्तवर्ष की अंतिम तिमाही में यह पांच फीसदी तक रह सकती है, क्योंकि प्याज की खरीफ व रबी फसल की आवक बढ़ने से इसकी कीमत में भारी गिरावट आई है।अगले वित्तवर्ष में महंगाई की ये अनुमानित दरें आरबीआई द्वारा लक्षित चार फीसदी से दो फीसदी की मार्जिन के तहत है, जिससे केंद्रीय बैंक को अल्पावधि में प्रमुख ब्याज दर में कटौती करने में सहूलियत मिल सकती है।विदित हो कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित इजाफा होने से दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई, जो एक महीने पहले (नवंबर, 2019 में) 5.54 फीसदी थी।
खाद्य महंगाई थोड़ी ऊंची रह सकती है:
दिसंबर के दौरान सब्जियों खासतौर से प्याज के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने के साथ-साथ दालों और मछलियों के दाम में भी काफी इजाफा हुआ। हालांकि उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई लेकिन खाद्य वस्तुओं और ईंधनों को छोड़कर महंगाई दर महज 3.8 फीसदी रही। RBI के अनुसार, बेमौसम बरसात से अगैती फसल खराब होने के बावजूद सब्जियों का उत्पादन बढ़ने से खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी बनी रह सकती है।वहीं,खासतौर से दूध की उत्पादन लागत बढ़ने और खरीफ सीजन में दाल का उत्पादन घटने से सब्जियों के इतर खाद्य वस्तुओं के दाम में हाल के दिनों में हुई वृद्धि बनी रह सकती है।केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन कारकों से कुल मिलाकर खाद्य महंगाई थोड़ी ऊंची रह सकती है।वहीं,भूराजनीतिक तनावों के कारण कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव रह सकता है।मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि सेवा की इनपुट लागत में हाल के महीनों के दौरान वृद्धि हुई है।छह सदस्यीय एमपीसी ने कहा कि वैश्विक और घरेलू कारकों से देश के वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। इसका असर महंगाई आउटलुक पर असर पड़ सकता है। हालांकि वित्तवर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में बेस इफेक्ट (आधारभूत प्रभाव) अनुकूल रहेगा।इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और दक्षिण-पश्चिम मानसून के 2020-21 में सामान्य रहने के अनुमान के आधार पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर चालू वित्तवर्ष की चौथी तिमाही में 6.5 फीसदी रह सकती है,जबकि अगले वित्तवर्ष 2020-21 की पहली छमाही में 5.4 फीसदी से पांच फीसदी और तीसरी तिमाही में 3.2 फीसदी रह सकती है।”