बजट-2020: बढ़ता राजकोषीय घाटा चिंता का सबब
प्रत्येक वर्ग की आशाएं बजट से जुड़ी हुई हैं
बजट-2020 पेश करने की तारीख नजदीक आ रही है|आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी से जूझते प्रत्येक वर्ग की आशाएं बजट से जुड़ी हुई हैं|दूसरी ओर बढ़ता राजकोषीय घाटा सरकार की चिंता का सबब बना हुआ है|ऐसे वक्त में बैंक आफ अमेरिका सिक्योरिटीज की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में चिंताजनक तथ्यों का जिक्र किया है|रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.8 प्रतिशत पर पहुंच सकता है|
प्रत्यक्ष कर सग्रह में कमी:
राजकोषीय घाटे से जूझने का प्रमुख कारण है प्रत्यक्ष कर संग्रह में कमी|मीडिया आधारित रिपोर्ट्स की माने तो 23 जनवरी तक केंद्र सरकार केवल 7.3 लाख करोड़ रुपये ही इकट्ठा कर पाई है,जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इकट्ठा किए गए टैक्स की तुलना में 5.5% कम है।जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य 13.5 लाख करोड़ रुपये तय किया था|मांग में कमी से मजबूर होकर कंपनियों ने निवेश तथा रोजगार में कटौती की जिसका सीधा असर सरकार के कर संग्रह पर पड़ता नजर आया|
इन कारणों से बढ़ी है चिंता:
विदित हो कि सरकार की अनुमानित सालाना आय में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी 80% होती है। कर संग्रह में कमी होने का परिणाम है राजकोषीय घाटा|आमदनी कम होने की वजह से खर्च पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज लेने की जरूरत पड़ सकती है। साल 2019 में सरकार द्वारा कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का कदम कर संग्रह में कमी का एक बड़ा कारण है|मैन्युफैक्चरर्स को लुभाने और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की सोच से लिया गया गया ये निर्णय फिलहाल इतना कारगर नही हो सका| हालाकि आगामे भविष्य में इसके सकारात्मक परिणामों से इनकार नही किया जा सकता|
इन्होने भी जताई चिंता:
बैंक आफ अमेरिका सिक्योरिटीज से पहले भी फिच,ICRA समेत तमाम वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने ऐसी ही चिंता व्यक्त की थी| प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति के चेरयमैन बिबेक देबरॉय ने भी शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में यह 6-6.5 फीसदी रह सकती है|इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने भी राजकोषीय घाटे को देखते हुए GDP 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था|
क्या करे सरकार?
राजकोषीय घाटे में कमी लाने के लिए सरकार को उपभोग बढाने पर जोर देना होगा| बैंक आफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार सरकार आगामी बजट में 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का 3.5 प्रतिशत का लक्ष्य तय कर सकती है|एक फरवरी को पेश किये जाने वाले बजट-2020 में सरकार का ध्यान आधार स्तर पर आयकर कटौती, लघु और मझोले उपक्रमों और आवास के लिए ब्याज सहायता के जरिये उपभोग मांग बढ़ाने पर केंद्रित होगा|इससे पहले पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अपने ब्लॉग में कहा था कि सरकार को बड़े पैमाने पर व्यय सुधार करने की जरूरत है|इससे करों के रूप में जुटाए गए धन का उत्पादक इस्तेमाल सुनिश्चित हो सकेगा|