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बजट 2020 से आम आदमी की उम्मीदें

वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती है ये बजट

आगामी बजट 2020 से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं|उद्योगपतियों से लगायत आम आदमी सभी निगाहें आने वाले बजट पर लगी हुई हैं|आर्थिक सुस्ती,महंगाई एवं बेरोजगारी जैसी बड़ी चुनौतियों के बीच हर भारतीय को आगामी बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं|विदित हो कि जुलाई, 2019 में पेश अपने पहले बजट को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था| इन आलोचनाओं में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कुछ खास प्रावधान  नहीं करने का आरोप सर्व प्रमुख था| कुछ ऐसी ही परिस्थितियों में आर्थिक क्षेत्र में छाई सुस्ती और कंपनी कर में की गई भारी कटौती को देखते हुए आम करदाता एवं भारतीय नागरिक को आगामी बजट से संतुष्ट करना वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है|

ये हैं चुनौतियां: – बजट 2020

वित्त मंत्री ने आगामी बजट 2020 को तैयार करने के लिए बजट पूर्व परामर्श जैसी ऐतिहासिक पहल की है| इस परामर्श बैठक के माध्यम से उन्होंने हर सेक्टर के मन की बात जाने की कोशिश की है| आगामी बजट में वे इन सभी सुझावो को शामिल करने का प्रयास करेंगी| राजस्व संग्रह में सुस्ती के कारण बजट 2020 में तय राजस्व लक्ष्यों को हासिल करना वित्त मंत्री के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी कर रहा है। कंपनी कर में की गई कटौती से केंद्र सरकार के राजस्व में कमी आयी है तो कमजोर चाल से चल रही अर्थव्यवस्था में उपभोग में आती गिरावट भी बड़ी समस्या है|इस बीच सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में छह साल के निम्न स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है। इन मुश्किलों के बीच आगामी बजट2020 से जनता का दिल जीतना वित्त मंत्री के लिए आसान नहीं होगा|

ये है जनता की चाहत बजट 2020 से

आगामी बजट 2020 से हर वर्ग की अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं| आयकर में राहत पाने के लिए  करदाता की नजरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दूसरे आम बजट पर टिकी हैं तो उद्योगपति भी आस लगाये बैठे हैं|किसान से गृहिणी तक सभी की आशाएं बजट से जुड़ी हुई हैं|आइये जानते विभिन्न वर्गों के अनुसार बजट से जुडी अपेक्षाएं|

आयकर में राहत:

आम नौकरीपेशा और सामान्य करदाता मोदी सरकार की दूसरी पारी में कर दरों में राहत की उम्मीद लगाए बैठा है।सरकार आम नौकरीपेशा लोगों की पांच लाख रुपए तक की कर योग्य आय को पहले ही करमुक्त कर दिया है। हालांकि कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री को आयकर स्लैब में बदलाव करना चाहिए। पिछले कई सालों से इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

उद्योग जगत:

बजट पूर्व परामर्श बैठकों में वित्त मंत्री ने प्रमुखता से हर सेक्टर से संबंधित उद्योगपतियों के विचार जाने हैं|आर्थिक सुस्ती एवं कम होती बिक्री से हर सेक्टर परेशान है| विभिन्न उद्योग वस्तुओं पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दरों में कमी की मांग कर रहे हैं।

कृषि संबंधित आशाएं:

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अभी भी कई संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है|ये योजनाएं दीर्घ अवधि पर आधारित हैं|बजट में किसानों से संबंधित और ज्यादा घोषणा होने की संभावना है।पूर्ववर्ती  अंतरिम बजट में आय सहायता योजना की घोषणा की गई थी, जिसे अब सभी किसानों के लिए बढ़ा दिया गया है। बजट में कुछ अन्य उपायों पर गौर किया जा सकता है, जैसे फसल बीमा योजना में बदलाव साथ ही कृषि कर्ज में वृद्धि की उम्मीद भी शामिल है। इसके अलावा ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सिंचाई खर्च में वृद्धि पर भी  ध्यान दिया जा सकता है।बजट में कोल्ड चेन पर खर्च और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने की संभावना है।

ऑटोमोबाइल उद्योग:

भारतीय ऑटो उद्योग लंबे समय से आर्थिक सुस्ती से परेशान है|वाहनों की बिक्री में कमी से हर कंपनी परेशान है।विदित हो ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से जीएसटी की  28% की वर्तमान दर को घटाकर 18% किया जाने की मांग भी की थी। बजट 2020 में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से पूरी तरह से आयातित कमर्शियल वाहनों (सीवी) पर सीमा शुल्क 25% से 40% तक बढ़ाया जा सकता है।इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वाली और असुरक्षित पुराने वाहनों को सड़कों से हटाया जा सकता है।साथ ही साथ सड़क में बुनियादी ढांचे के निवेश से कमर्शियल वाहन बनाने वाली कंपनियों की बिक्री में बढ़ावा हो सकता है।ऑटो  सेक्टर का विस्तार के साथ ही इलेक्ट्रिक कार को भी बढ़ावा दिया जा सकता है|जिससे  केंद्र सरकार की ई-वाहन की मुहिम को बल मिलने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिल सकता है|

एफएमसीजी सेक्टर:

एफएमसीजी सेक्टर का असर आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर सबसे ज्यादा पड़ता है| गृहिणी से लेकर कामकाजी लोगों तक सभी की जरूरतें इस सेकत से जुड़ी हुई होती हैं|  इस सेक्टर को बजट-2020 काफी साड़ी उम्मीदें हैं|जिन में अप्रत्यक्ष कर या जीएसटी को कम करना, इनकम टैक्स में छूट देना ताकि लोग और खर्च कर सकें, ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास करना, रोजगार मुहैया कराने पर सुविधाएं प्रदान करना, कॉर्पोरेट टैक्स कम करना आदि हैं| इन मांगों का असर जरूरी चीजों की कीमतों में कमी के तौर पर देखने को मिल सकता है| अतः बजट में इस सेक्टर से जुडी घोषणाओं पर हर वर्ग की निगाहें लगी होंगी|

इंफ्रास्ट्रक्चर:

बजट 2020 में  इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी बड़ी घोषणाएं संभावित हैं|मोदी सरकार की  भारतमाला, सागरमाला, किफायती आवास, स्वच्छता और पानी की जरूरतों जैसी प्रमुख फ्लैगशिप योजनाओं में बड़े निवेश के लिए बजट का प्रावधान किया जा सकता है|इसके अलावा सरकार रेलवे के विस्तार से जुड़ी परियोजनाओं पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।जिनमे यात्री सुरक्षा, नियोजित विद्युतीकरण तथा रेल आधुनिकीकरण प्रमुख बिंदु हो सकते हैं।

पेट्रोलियम सेक्टर:

पेट्रोलियम सेक्टर से देश में आम लोगों की जिंदगी पर सीधा प्रभाव पड़ता है|माल ढुलाई से लेकर कृषि कार्यों तक डीजल की बड़ी भूमिका है| इस सेक्टर की प्रमुख मांगों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने, एक्साइज ड्यूटी घटाने, पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के अधीन लाने, प्राकृतिक गैस को जीएसटी में लाने, घरेलू कच्चे तेल पर 2 फीसदी सेंट्रल सेल्स टैक्स घटाकर इसमें और आयातित तेल की कीमतों में समानता लाना आदि हैं|इन मांगों से पेट्रोल और डीजल सस्ता हो सकता है|

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर :

हॉस्पिटैलिटी सेक्टर/होटल इंडस्ट्री की भी बजट 2020 से कई उम्मीदें हैं| जिनमें जीएसटी स्लैब में राहत देने, कॉर्पोरेट टैक्स की दरें घटाने, आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के फायदे देने जैसी मांगें शामिल हैं|ये मांगें पूरी होती हैं तो इससे लोगों का घर से बाहर ठहरना और खाना सस्ता हो सकता है|

स्वास्थ्य उद्योग:

आयुष्मान भारत योजना मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल है|पूरी उम्मीद है कि बजट 2020 में इस पर भी जोर दिया जाएगा। सरकार आयुष्मान भारत या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य बजट पेश करने और इसे बढ़ाने का प्रस्ताव रख सकती है।सरकार का ध्यान 100 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण पर भी  रहेगा।इसके अलावा स्वास्थ्य उद्योग की प्रमुख मांगों में रिसर्च और इनोवेशन के लिए जीडीपी का दो से तीन फीसदी खर्च करना, टैक्स क्रेडिट में बढ़ावा, मेडिकल यंत्रों पर जीएसटी की दर घटाना, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए विशेष प्रावधान करना आदि हैं| इस सेक्टर की मांगों को मानने से लोगों को आसानी से और सस्ता इलाज मिल सकता है|

रक्षा बजट:

बजट 2020 में रक्षा पूंजी अधिग्रहण के लिए एक उच्च बजटीय आवंटन का अनुमान  है। विशेष रक्षा निवेश भत्ते की घोषणा, विशेष रक्षा विनिर्माण और टैंकों के विनिर्माण, बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों, रक्षा विमानों, अंतरिक्ष यान, युद्धपोतों, हथियारों और सभी प्रकार के गोला बारूद और उसके उपयोग के अन्य सामानों के निर्माण पर भी ध्यान दिया जा सकता है।

रियल एस्टेट:

रेरा और नोटबंदी जैसे नीतिगत फैसलों के बाद यह सेक्टर मंदी से जूझ रहा है| इस सेक्टर की प्रमुख मांगों में सिंगल विंडो क्लियरेंस मिलना, सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा देना, पहली बार घर खरीदने पर इनकम टैक्स में छूट देना ताकि खरीदार प्रोत्साहित हों, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में जीएसटी दरों में कमी आदि हैं| इससे असंगठित और संगठित क्षेत्र में काफी रोजगार मुहैया कराने वाले इस सेक्टर में जान पड़ने के साथ ही लोगों के लिए घर खरीदना भी सस्ता और आसान हो सकता है|