बजट-2020 से पहले बेरोजगारी के आंकड़े
बजट-2020 के लिए बड़ा संकट है बेरोजगारी
आर्थिक सुस्ती और बिक्री संकट के बीच आगामी बजट-2020 के साथ हर वर्ग की अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं|राजकोषीय घाटे के बीच हर वर्ग को संतुष्ट करना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए सबसे बड़ी चुनौती है|आर्थिक विषमताओं के अलावा बेरोजगारी अब एक बड़ा संकट बनती जा रही है|रोजगार संकट के कारण आयकर में कमी और बिक्री संकट में और भी इजाफ़ा हो जाता है|आंकड़ों की बात करें तो गत वर्ष 2019 में सितंबर से दिसंबर के बीच बेरोजगारी की दर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच गयी है|
युवाओं के सामने रोजगार संकट:
बजट-2020 में रोजगार संकट पर वित्त मंत्री विशेष ध्यान देना होगा|भारत को युवाओं का देश कहा जाता है|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न मंचों से युवाओं को नए अवसर देने की बात कह चुके हैं|इसके लिए स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जा रहा है|इसके बावजूद बेरोजगारी के भयावह आंकड़े सरकार की युवा शक्ति प्रोत्साहन नीतियों को मुंह चिढाते प्रतीत हो रहे हैं|ऐसे में आगामी बजट में रोजगार सृजन का दबाव सरकार के ऊपर बना रहेगा|
क्या कहते हैं आंकड़े?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी की स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा|सितंबर से दिसंबर 2019 के चार महीनों में बेरोजगारी की दर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई है| जबकि उच्च शिक्षित लोगों की बेरोजगारी दर बढ़कर 60 फीसदी तक जा पहुँची है|CMIE द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार युवा ग्रेजुएट्स के लिए पिछला साल काफी खराब रहा है| इस दौरान ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में बेरोजगारी की दर ज्यादा है|शहरों में बेरोजगारी की दर 9 फीसदी है जबकि ग्रामीण भारत में बेरोजगारी 6.8 फीसदी है|इस अनुपात में देखें तो शहरों में बेरोजगारी का संकट राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा हो गया है|आगामी बजट-2020 में सरकार को इस दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे|
अगस्त 2019 में तीन साल का सर्वोच्च स्तर:
CMIE की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अगस्त में बेरोजगारी की दर 8.4 फीसदी रही, जो तीन साल का उच्चतम स्तर है| इससे पहले सितंबर 2016 में बेरोजगारी के आंकड़े इस स्तर पर पहुंचे थे| रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की दर कम है और इसका देश की समूची बेरोजगारी पर बड़ा असर है|गांवों में जो रोजगार है उसका स्तर बहुत खराब है| जबकि शहरों में उच्च शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है| रिपोर्ट के अनुसार, ’20 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी की दर 37 फीसदी है| ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी की औसत दर साल 2019 में 63.4 फीसदी तक पहुंच गई है|बता दें कि CMIE एक निजी संस्था है, जिसके आंकड़ों को काफी विश्वसनीय माना जाता है|CMIE की रिपोर्ट के अनुसार, ‘मई-अगस्त 2017 के बाद लगातार सातवीं बार बेरोजगारी बढ़ी है| मई-अगस्त 2017 में बेरोजगारी की दर 3.8 फीसदी थी|’