भारत में खाद्य वस्तुओं के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं: TPCI
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है
भारत में खाद्य वस्तुओं के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं|विदेशी निवेशक निवेश के लिए एसईजेड(SEZ) को एक ठिकाने के तौर पर देख रहे हैं। कृषि क्षेत्र में जान फूंकने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) नीति में बदलाव लाना चाहिए। यह सुझाव टीपीसीआई के चेयरमैन मोहित सिंगला ने दिया| देश के प्रमुख ट्रेड प्रमोशन आर्गेनाइजेशन में शुमार ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) का कहना है कि सरकार को आगामी आम बजट 2020-21 में इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
SEZ से निर्यात बढ़ा:
अपने एक अन्य सुझाव में टीपीसीआई के चेयरमैन ने कहा कि, विदेशी निवेशकों को शून्य आयात शुल्क पर कच्चे माल आयात करने की अनुमति देनी चाहिए और मूल्य वर्धन के लिए शुल्क में आनुपातिक छूट देनी चाहिए। सिंगला ने बताया कि,भारत में एसईजेड से निर्यात कुल निर्यात के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल-जून 2019 के दौरान भारत का कुल निर्यात जहां दो फीसदी घटकर 5,62,000 करोड़ रुपये रह गया था वहां एसईजेड का निर्यात 15 फीसदी बढ़कर 1,85,763 करोड़ रुपये हो गया।
भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि:
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष योगदान है|कृषि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशक्ति कार्यरत है। भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है |देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। भारत दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2013 में भारत ने दाल उत्पादन में 25% का योगदान दिया जो कि किसी एक देश के लिहाज से सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त चावल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 22% और गेहूं उत्पादन में 13% थी। पिछले अनेक वर्षों से दूसरे सबसे बड़े कपास निर्यातक होने के साथ-साथ कुल कपास उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% है।
ये भी जानीये:
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है जबकि दूसरे, तीसरे व चौथे नंबर पर क्रमश: थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान आते हैं। लेकिन, भारत से गैर-बासमती चावल का निर्यात जिस तरह घटता जा रहा है, उससे शीर्ष निर्यातक के स्थान को बनाए रखना मुश्किल होगी। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का गैर-बासमती चावल निर्यात शुरुआती आठ महीनों में पिछले साल के मुकाबले 35 फीसदी से ज्यादा घट चुका है। वर्ष 2019 के अप्रैल से नवंबर के दौरान भारत ने 9,028.34 करोड़ रुपये के गैर-बासमती चावल का निर्यात किया। जबकि 2018 में भी इसी अवधि के दौरान 14,059.51 करोड़ रुपये के गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ था।